
अम्बेडकरनगर- भारत की क्रांतिकारी मज़दूर पार्टी की ओर से चन्द्रशेखर आज़ाद के शहादत दिवस 27 फरवरी पर चत्तुरपुर कैतिया गांव में पैदल मार्च निकालकर सभा की गई।इस दौरान भारत की क्रान्तिकारी मज़दूर पार्टी के मित्रसेन ने कहा कि 27 फरवरी को 1931 को चंद्रशेखर आजाद का शहादत दिवस है एच.एस.आर.ए. कमांडर के रूप में आजाद मरते दम तक एक निडर योद्धा की तरह जिये।27 फरवरी 1931 को आजाद इलाहाबाद के अल्फ्रेड पार्क आजाद पार्क में अंग्रेजों के खिलाफ लड़ते हुए शहीद हुए चंद्रशेखर आजाद की ब्रिटिश उपनिवेशवादियों से बहादुरी भरी लड़ाई और उनकी शहादत से देश के सभी लोग परिचित हैं लेकिन जिस समाज को बनाने के लिए आजाद और उनका संगठन लड़ रहा था।उस देश की बहुत बड़ी आबादी परिचित नहीं है आजाद औपचारिक शिक्षा की कमी के बावजूद भी एक दृढ़ विचारवान क्रांतिकारी थे किसी भी तर्कपूर्ण और नए विचार के प्रति वे सदा खुले रहते थे और पुराने रूढ़ विश्वासों और विचारों को त्यागने में वे पल भर भी देर नहीं करते थे।आजाद धर्म को निजी विश्वास की चीज मानते थे और सच्चे धर्मनिरपेक्ष व्यक्ति की तरह उनका यह पक्का विश्वास था कि राज्य को पूरी तरह धर्म से अलग किया जाना चाहिए।पार्टी के बिंद्रेश ने कहा कि आज आजाद जैसे क्रांतिकारियों के सपनों को जानना बहुत जरूरी है तथा उनके पद चिन्हों पर चलने की जरूरत है तभी समाज में स्थित समस्या दूर हो सकती है।
इस मौके पर रामधनी,सुरेश प्रजापति, जयराम यादव, रामनयन ,अयोध्या ,गोविंद, बलदेव ,चंद्रप्रकाश,मानधाता,योगेन्द्र निराला, मकबूल अहमद, हरिश्याम,आशीष अकांक्षा, दीपांजलि, निधि, आरती,अंशु
आदि लोग सम्मिलित रहें।