
दिव्येंदु मोहन गोस्वामी
बीरभूम पश्चिम बंगाल
1 जनवरी मां के भक्तों के लिए बेहद खास दिन होता है, देश-विदेश के लोग इस दिन का इंतजार करते हैं। कल्पतरु उत्सव एक ऐसा पारंपरिक त्योहार है। वैसे ही तारापीठ में आज के दिन की शुरुआत वर्ष में शांति की कामना से की जाती है इसलिए भीड़ उमड़ पड़ती है. तारापीठ मंदिर के नियमों में श्रद्धालुओं के लिए बड़ा बदलाव किया गया है. अब से मंदिर में प्रवेश कर मां के पैर छूने या मूर्ति को गले लगाने की इजाजत नहीं होगी. साथ ही कोई भी व्यक्ति आलता और गुलाब जल लेकर मां के गले में माला लेकर गर्भगृह में प्रवेश नहीं कर सकता है. मंदिर में यह नियम मंगलवार 17 दिसंबर से लागू कर दिया गया है. साथ ही मंदिर को निश्चित समय पर खोला और बंद किया जाना चाहिए। आपको घड़ी के अनुसार ही मां तारा को भोग लगाना है. पूजा करने वालों के लिए दो लाइनें होंगी. एक आम और एक खास. सामान्य लाइनें पहले चलेंगी। एक घंटे बाद एक विशेष लाइन शुरू की जाएगी। शासन-प्रशासन की ओर से सभी फैंस को इस नए फैसले की जानकारी दे दी गई है. यह नियम सुविधा और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पेश किया गया है। नए नियम लागू होने के बाद तारापीठ में शुरू होने वाली यह पहली जनवरी पूजा है। हालांकि दो लाइनें बताई गई हैं, लेकिन भीड़ बढ़ने पर लाइनों की संख्या बढ़ाई जा सकती है। ऐसे में मंदिर में मौजूद पुलिसकर्मी और मंदिर के अपने सुरक्षाकर्मी इस बात का ध्यान रखेंगे।
कैमरा सोनू के साथ दीबदु का रिपोर्ट तारापीठ पश्चिम
बंगा