रवींद्रनाथ टैगोर एक समाज सुधारक-शिवानी जैन एडवोकेट
आंल ह्यूमन सेव एंड फॉरेंसिक फाउंडेशन डिस्टिक वूमेन चीफ शिवानी जैन एडवोकेट ने कहा कि रविंद्र नाथ टैगोर भारत के पहले व्यक्ति थे जिन्हें नोबेल पुरुस्कार से सम्मानित किया गया था। उनको ‘नाइट हुड’ की उपाधि से भी सम्मानित किया गया था, लेकिन उन्होंने वर्ष 1919 में अमृतसर (जलियांवाला बाग) नरसंहार के विरोध में ये सम्मान अंग्रेजों को वापस लौटाया दिया था। टैगोर को नोबेल पुरस्कार उनकी सबसे प्रसिद्ध कविता संग्रह गीतांजलि के लिए दिया गया था। वह एक कवि, लेखक, नाटककार, संगीतकार, दार्शनिक, समाज सुधारक थे।
थिंक मानवाधिकार संगठन एडवाइजरी बोर्ड मेंबर डॉ कंचन जैन ने कहा रवीन्द्रनाथ टैगोर को’गुरुदेव’, ‘कबीगुरु’ और ‘बिस्वकाबी’ जैसी उपाधियों से सम्मानित किया गया है। साहित्य, संगीत और कला में अपने उल्लेखनीय योगदान के लिए दुनिया भर में सम्मानित, पश्चिम बंगाल के प्रसिद्ध बंगाली कवि, लेखक, चित्रकार, समाज सुधारक और दार्शनिक महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित किया।
मां सरस्वती शिक्षा समिति के प्रबंधक डॉ एच सी विपिन कुमार जैन, संरक्षक आलोक मित्तल एडवोकेट, ज्ञानेंद्र चौधरी एडवोकेट, डॉ आर शर्मा, निदेशक डॉक्टर नरेंद्र चौधरी, बृजेश शुक्ला एडवोकेट, शार्क फाउंडेशन तहसील प्रभारी डॉ एच सी अंजू लता जैन, बीना एडवोकेट आदि ने कहा कि टैगोर के नाम एक एतिहासिक रिकॉर्ड दर्ज है, जिसके मुतबिक उन्हें दो देशों के राष्ट्रगान लिखने का अनूठा गौरव प्राप्त है। उन्होंने भारत के लिए जन गण मन और दूसरा बांग्लादेश के लिए अमर सोनार बांग्ला लिखा।
गुरुदेव का मानना था कि अध्ययन के लिए प्रकृति का सानिध्य ही सबसे बेहतर है. उनकी यही सोच 1901 में उन्हें शांति निकेतन ले आई। उन्होंने खुले वातावरण में पेड़ों के नीचे शिक्षा देनी शुरू की। रवींद्रनाथ टैगोर के पिता ने 1863 में एक आश्रम की स्थापना की थी, जिसे बाद रवींद्रनाथ टैगोर ने शांतिनिकेतन (
में बदला।
शिवानी जैन एडवोकेट
डिस्ट्रिक्ट वूमेन चीफ