
भारतीय संस्कृति में नारी सम्मान-शिवानी जैन एडवोकेट
ऑल इंडिया सेव एंड फॉरेंसिक फाउंडेशन डिस्टिक वूमेन चीफ शिवानी जैन एडवोकेट ने कहा कि नारी का सम्मान सदा होना चाहिए। संस्कृत में एक श्लोक है- ‘यस्य पूज्यंते नार्यस्तु तत्र रमन्ते देवता यानी कि जहां नारी की पूजा होती है, वहां देवता निवास करते हैं।
भारत में नारी को नारीशक्ति इसलिए बोला जाता है कि भारत में ईश्वर शिव और शक्ति के रूप में पूजे जाते हैं। नारी को देवी माना गया है। अतः नारी को शक्ति रूप में माना जाता है और नारीशक्ति का संबोधन दिया जाता है।
थिंक मानवाधिकार संगठन की एडवाइजरी बोर्ड मेंबर डॉ कंचन जैन ने कहा कि नारी का धरती पर सबसे सम्मानीय रूप है माँ का, माँ जिसे ईश्वर से भी बढ़कर माना जाता है तो माँ का सम्मान को कम नहीं होने देना चाहिए।प्रत्येक क्षेत्र में हम आगे बढ़ते लड़कियों को हुए देखते हैं। विभिन्न परीक्षाओं की मेरिट लिस्ट में लड़कियां तेजी से आगे बढ़ रही हैं। किसी समय इन्हें कमजोर समझा जाता था, किंतु इन्होंने अपनी मेहनत और मेधा शक्ति के बल पर हर क्षेत्र में प्रवीणता अर्जित कर ली है। इनकी इस प्रतिभा का सम्मान किया जाना चाहिए।
मां सरस्वती शिक्षा समिति के प्रबंधक डॉ एच सी विपिन कुमार जैन, संरक्षक डॉक्टर राजेंद्र कुमार जैन,डॉक्टर आरके शर्मा, आलोक मित्तल एडवोकेट, ज्ञानेंद्र चौधरी एडवोकेट, शार्क फाउंडेशन की तहसील प्रभारी डॉ एच सी अंजू लता जी ,शालू सिंह एडवोकेट, विमला चौधरी आदि ने कहा कि भारतीय संस्कृति में महिलाओं को देवी, दुर्गा व लक्ष्मी आदि का यथोचित सम्मान दिया गया है ।अत: उसे उचित सम्मान दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा किबच्चों में संस्कार भरने का काम मां (नारी) द्वारा ही किया जाता है। यह तो हम सभी बचपन से सुनते चले आ रहे हैं कि बच्चों की प्रथम गुरु मां ही होती है। मां के व्यक्तित्व-कृतित्व का बच्चों पर सकारात्मक और नकारात्मक दोनों प्रकार का असर पड़ता है।
शिवानी जैन एडवोकेट
डिस्ट्रिक्ट वूमेन चीफ