सुसनेर। मध्य प्रदेश के सुसनेर में अब अधिकारी और कर्मचारी सरकारी स्कूलों में पढ़ाते हुए नजर आ रहे है। दरअसल एजुकेशन लेवल को सुधारने के लिए आगर कलेक्टर राघवेन्द्रसिंह ने अधिकारियों और कर्मचारियों को सरकारी स्कूलों में एक पीरियड पढ़ाने की जिम्मेदारी सौंपी है।
सरकारी स्कूलों में शिक्षा की स्थिति से हम सब वाकिफ हैं। सरकारी स्कूलों में पढ़ाई का स्तर सुधारने के लिए आगर मालवा जिले के कलेक्टर राघवेंद्रसिंह ने अलग तरीका अपनाया है। उन्होंने सरकारी अधिकारियों को काम के साथ- साथ स्कूलों में एक पीरियड पढ़ाई करने के आदेश भी दिए हैं। अब सरकारी अधिकारी और कर्मचारी स्कूलों में पढ़ाते हुए भी नजर आ रहे है। प्रदेश में ऐसा पहली बार हो रहा है जब अधिकारी और कर्मचारी स्कूलों में पढ़ाते हुए दिखाई दें रहे है। इससे पढ़ाई का स्तर सुधरने के साथ स्कूलों में अनुशासन का पालन भी होता रहेगा।
*नगर की व्यवस्था सम्भालने के साथ ग्रामीण स्कूल में पढ़ाते दिखे सीएमओ*
‘स्कूल चले हम’ अभियान के अंतर्गत सरकारी स्कूलों में कलेक्टर राघवेंद्रसिंह के आदेश पर स्कूल चले हम अभियान चल रहा है। इसमें प्रवेशोत्सव से लेकर अलग-अलग तैयारी की गई है। कलेक्टर राघवेंद्रसिंह ने स्कूलों का शैक्षणिक स्तर सुधारने के लिए जिले के अधिकारियों को स्कूल आवंटित किए गए हैं। इसी तारतम्य में गुरुवार को नगर परिषद सुसनेर के सीएमओ ओपी नागर के द्वारा जनपद पंचायत सुसनेर के समीपस्थ ग्राम बाजना के शासकीय प्राथमिक स्कूल पहुंचकर एक पीरियड पढ़ाया। और बच्चों की क्लास ली। स्कूल चले हम अभियान 2024-25 का शुभारंभ 18 जून को गया था। जिसमें 18, 19 एवं 20 जून को विभिन्न प्रकार की गतिविधियाँ प्रत्येक शासकीय शालाओं में आयोजित किए जाने के निर्देश हैं। इसी के चलते में 18 जून को सुसनेर ब्लाक की शालाओ में प्रवेशोत्सव मनाया गया। नए प्रवेश लेने वाले बच्चों का तिलक लगाकर स्वागत किया गया व बुधवार 19 जून को पाठ्य पुस्तकों का वितरण किया गया। उत्सव में प्र स्कूल में आयोजित गतिविधियों में गुरुवार 20 जून को अधिकारियों को आमंत्रित किया गया।
*पढ़ाई के साथ अनुशासन और शिक्षा के स्तर में आएगा सुधार*
सुसनेर नगर परिषद सीएमओ ओपी नागर का कहना है कि “इस तरह के प्रयोग से एक तरफ जहां पढ़ाई ठीक से होगी वहीं शिक्षा का स्तर सुधरेगा। इसके साथ ही कई स्कूलों में शिक्षकों के लेट आने और जल्दी जाने की शिकायतें भी मिलती हैं। जिसकी वजह से अनुशासन का पालन नहीं हो पाता है। इस प्रकार की प्रक्रिया से अधिकारियों की मौजूदगी के चलते स्कूल का स्टाफ भी अनुशासन में रहेगा। कोई भी अधिकारी अपने विषय के अनुसार पढ़ाई भी कराएगा, ताकि उसके ज्ञान में भी वृद्धि होगी।
*अधिकांश स्कूलों में नहीं शिक्षक*
सुसनेर सहित आगर जिले में सरकारी स्कूलों की क्या स्थिति है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि कई स्कूलों में पूरे शिक्षक नहीं हैं। यहां या तो अतिथि शिक्षकों के भरोसे पढ़ाई की जाती है या फिर अटैचमेंट के भरोसे स्कूल चल रहे हैं। वहीं कई स्कूल ऐसे हैं जहां पर बच्चे कम और शिक्षक ज्यादा है।
चित्र : सुसनेर नप सीएमओ मास्टर बनकर ले रहे ग्राम बाजना के स्कूल के बच्चों की क्लास।