
एडिटर/संपादक/तनीश गुप्ता,खण्डवा
जल संरचनाओं की सफाई से पहले स्थल परीक्षण और बुनियादी जांच करना आवश्यक
कलेक्टर श्री गुप्ता ने आम नागरिकों के लिये मानक संचालन प्रक्रिया के तहत आवश्यक सुरक्षा दिशा निर्देश किए जारी
खण्डवा//खण्डवा जिले के पंधाना तहसील के ग्राम कोंडावत में 3 अप्रैल को कुऐ की सफाई हेतु उतरे 8 व्यक्तियों की ऑक्सिजन की कमी के कारण दम घुटने एवं कीचड़ में फंसने के कारण आकस्मिक मृत्यु हो गई थी। इन आठों व्यक्तियों के पास कुऐ में उतरने हेतु सुरक्षा संसाधन भी नहीं थे। जिले में इस प्रकार की कोई भी अप्रिय घटना ना घटे एवं जिले के आम नागरिकों को इस प्रकार के कार्य करते समय उपयोग किये जाने वाले सुरक्षा उपकरण एवं बरती जाने वाली सावधानियों / जोखिम / संभावित दुर्घटना से बचने हेतु कलेक्टर श्री ऋषव गुप्ता ने आम नागरिकों के लिये मानक संचालन प्रक्रिया के तहत आवश्यक सुरक्षा दिशा निर्देश जारी किये हैं। इस एसओपी के अंतर्गत आने वाली संरचनाएं कुएं (खुले और ढंके हुए), बावड़ियां, सामुदायिक तालाब और टंकियां, चेक डैम, पारगमन टैंक, फार्म पॉन्ड, परंपरागत जल स्रोत, और नदियां व मौसमी नाले, पुरानी नालियां, सीवर आदि सम्मिलित है।
कलेक्टर श्री गुप्ता ने बताया कि संरचनाओं की सफाई से पहले स्थल परीक्षण और बुनियादी जांच करना आवश्यक है। इसके लिए सूंघ कर पानी में गंदी बदबू, रंग में बदलाव, कचरा, हरी काई की जांच करें । जलता हुआ लालटेन, दीया या मोमबत्ती को बाल्टी में रखकर एक रस्सी में बांधकर अंदर डालें, अगर लौ बुझ जाती है, तो अंदर जहरीली गैस हो सकती है। उन्होंने बताया कि संरचना की स्थिति की जांच करें कि दीवारों में दरार, ढीले पत्थर, या कमजोर सतह तो नहीं है। टॉर्च आदि से फिसलन वाली सतहें देखें, खासकर अंदर या किनारे पर जहां काई या गीलापन हो सकता है।
कलेक्टर श्री गुप्ता ने बताया कि बुनियादी जांच पश्चात् सफाई प्रकिया शुरू करने के पहले ये तैयारियां सुनिश्चित की जाएं। अगर संभव हो तो पहले पम्प से पानी निकालें अथवा रस्सी से बंधी बाल्टियों या चेन पुली सिस्टम से कीचड़ और कचरा निकालें। कुएं/संरचना को सूरज की रोशनी और खुली हवा में कम से कम एक दिन खुला रखें। किसी लम्बे डण्डे या बांस या रस्सी में वजनी वस्तु बांध कर ठहरे हुए पानी या ऊपर जमी हुई काई की परत को हटाने का प्रयास करें ताकि दबी हुई गैस का रिसाव खुले वातावरण में हो सके। सफाई से पहले कम से कम 30 मिनट तक जल संरचना के अंदर उपलब्ध तरीके से किसी भी प्रकार से हवा भेजकर वेंटिलेशन करें। उन्होंने बताया कि कीचड़ या गंदे पानी से सीधे संपर्क से बचने के लिए पूरे शरीर को ढकने वाले कपड़े जैसे फुल शर्ट, फुल पैंट, एप्रन या पीपीई किट पहनना अनिवार्य है। गिरती वस्तुओं, टकराने या फिसलने से सिर की सुरक्षा के लिए किसी भी प्रकार का हेलमेट पहनना अनिवार्य है। कीचड़, कीड़े, सांप और नुकीले कचरे से सुरक्षा के लिए रबर के दस्ताने और बूट पहनना अनिवार्य है। धूल, बदबू या गैसों से बचाव हेतु गीले कपड़े या मास्क को मुंह और नाक पर बांधें। सफाई करने वाले व्यक्ति के साथ सुरक्षा रस्सी और बेल्ट या हार्नेस बंधा होना चाहिए।
कलेक्टर श्री गुप्ता ने बताया कि शिफ्ट में सफाई करें, एक व्यक्ति अधिकतम 15-20 मिनट ही अंदर रहे। सारा कचरा पीने के जल स्रोतों से दूर फेंका जाए। पीने का साफ पानी, ओ.आर.एस. घोल, फर्स्ट एड किट अनिवार्य रूप से उपलब्ध होनी चाहिए। किसी प्रकार की दुर्घटना होने पर तत्काल नजदीकी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, 108 एम्बुलेंस, पुलिस स्टेशन को सूचना देवें। स्थानीय एएनएम या आशा कार्यकर्ता को पहले से सूचित करें। चोट लगने या गैस के असर की स्थिति में किसी अन्य व्यक्ति को अंदर न भेजें और बाहर से ही वेंटिलेशन और बचाव का प्रयास करें। सम्पूर्ण सफाई प्रकिया में सरपंच, पंच व ग्राम पंचायत का अमला, स्कूल शिक्षक, स्थानीय स्वास्थ्य / सामाजिक कार्यकर्ता, गांव के संभ्रांत व्यक्ति आदि को शामिल करें एवं सफाई के दौरान बच्चों को स्थल से दूर रखें।
कलेक्टर श्री गुप्ता ने बताया कि सफाई प्रक्रिया पूर्ण होने के पश्चात् चूना (क्लोरीन) और ब्लीचिंग पाउडर से अनिवार्यतः कीटाणुशोधन करें। कुएं या जल संरचना में दोबारा गंदगी न जाए इस हेतु सही तरीके से ढकें। जल स्रोत संरचनाओं में क्षेत्र के गंदे पानी / कचरा आदि का निस्तार रोकने के लिए संभव प्रयास करें। किसने, कब और कैसे सफाई की इसका सम्पूर्ण विवरण लिखित रूप में रखें। उन्होंने बताया कि इन सावधानियां एवं सुरक्षा उपकरणों का विधिवत उपयोग करते हुये कुँए, बावडी, नाला, नदी, टेंक इत्यादि का सफाई कार्य करने पर अप्रत्याशित दुर्घटना की संभावना कम से कम अथवा ना के बराबर रहेगी।