
मेरठ। सुशांत सिटी, मेरठ के आवंटियों की पीड़ा अब 19 साल लंबी हो चुकी है, लेकिन उन्हें अब तक अपना हक़ नहीं मिला। आवंटियों का आरोप है कि निजी बिल्डर अंसल एपीआई और मेरठ विकास प्राधिकरण (एमडीए) की मिलीभगत से करोड़ों का घोटाला हुआ है, जिसमें हज़ारों लोगों के खून-पसीने की कमाई फंसी हुई है।2005 में एमडीए ने पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत 300 एकड़ (बाद में घटाकर 270.4 एकड़) भूमि अंसल लैंडमार्क टाउनशिप प्राइवेट लिमिटेड को विकास कार्य के लिए दी थी। समझौते के अनुसार 10 साल में कॉलोनी का पूरा विकास, सुविधाओं का निर्माण और कॉलोनी का स्थानीय निकाय को हस्तांतरण होना था। लेकिन आवंटियों के अनुसार न तो विकास कार्य पूरा हुआ, न ही सुविधाएं बनीं, और न ही कॉलोनी हस्तांतरित की गईआवंटियों के गंभीर आरोप:
•बिल्डर ने मेंटेनेंस के नाम पर वर्षों से वसूली जारी रखी, जबकि स्वामित्व हस्तांतरित नहीं किया।
•उपलब्ध भूमि से अधिक संपत्ति बेची, अब अवैध तरीके से संशोधित लेआउट प्लान स्वीकृत कराने की कोशिश।
•एनओसी जारी करने के लिए मौखिक व गैर-आधिकारिक तरीकों से भारी रकम की मांग।
•सामुदायिक केंद्र को व्यापारी को बेचकर व्यावसायिक गतिविधियां शुरू कराई।
•पार्क, पुलिस चौकी जैसी सामुदायिक जमीन पर कब्ज़े कराए, सिंचाई विभाग की जमीन तक बेच दी।लोगों की मांग:
आवंटी मामले की उच्चस्तरीय जांच, दोषियों पर कानूनी कार्रवाई और कॉलोनी को जल्द से जल्द स्थानीय निकाय को हस्तांतरित करने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि यह लड़ाई अब सिर्फ ज़मीन या घर की नहीं, बल्कि आम जनता के भरोसे की है, जिसे तोड़ा गया है।