
मेघदूत चौपाटी v/s सराफा चौपाटी
एक शहर में दो अलग नियम
इंदौर पुलिस और प्रशासन का दोहरा रवैया
सराफा में भी खान पान के स्टॉल लग रहे सड़कों पर
सड़क राहगीरों के लिए है या व्यापारियों के लिए
🎯 त्रिलोक न्यूज चैनल
इंदौर
प्रशासन ने सख्त कार्रवाई करते हुए मेघदूत चौपाटी के व्यापारियों को मौका मिलते ही एक झटके में खदेड़ दिया। ये व्यापारी बरसों से अपना और परिवार का पेट पाल रहे थे इनके सामने बड़ा संकट खड़ा हो गया है जबकि सराफा बाजार में रात को लगने वाली चौपाटी पर प्रशासन और पुलिस मेहरबान है। यानी एक ही शहर में दो नियम हैं। सराफा बाजार में भी नियम विरुद्ध सड़क पर दुकानें लगाई जा रही है।
मेघदूत चौपाटी v/s सराफा चौपाटी
यह बात इसलिए सामने आई है कि सराफा चौपाटी मार्ग की लगभग आधी सड़क पर खानपान के स्टॉल लगने लगे हैं। पहले तो ये ज्वैलरी शॉप के ओटले चढ़ाव तक सिमटे हुए थे लोगों को निकलने में आने जाने में ज्यादा परेशानी नहीं होती थी। अब यहां पुलिस और प्रशासनिक लापरवाही के चलते स्थिति इतनी बिगड़ती जा रही है की इस मार्ग से दो पहिया वाहन तो छोड़ो पैदल चलकर निकलना भी मुश्किल होने लगा है। ऐसे में पुलिस बाईक और स्कूटी आदि दो पहिया वाहन लेकर निकलने वाली महिलाओं और युवकों के साथ अभद्रता करते हुए देखी जा रही है। पुलिस वाले कहते हैं क्या कॉमन सेंस नहीं है इस गली में भीड़ नहीं दिख रही वाहन लेकर कैसे आ गए?? अब बड़ा प्रश्न खड़ा होता है कि सड़क दुकान चलाने के लिए होती है या वाहन चलाने के लिए? दूसरी बात पुलिस कहती है इन दुकान वालों को कलेक्टर ने अनुमति दी है हम नहीं हटा सकते।
अब सोचने वाली बात यह है कि कॉमन सेंस किसमे कम है? जब मेघदूत चौपाटी के व्यापारियों को नियम बता कर हटाया गया है तो फिर सराफा में किस नियम के चलते दुकानें सड़क पर लग रही है। इनको भी स्थाई दुकान लगाने की व्यवस्था सुनिश्चित की जाना चाहिए। अब तक धक गया वो ठीक है लेकिन जब एक पक्ष को नियम बता कर हटाया गया है तो फिर सराफा चोपाटी को भी स्थाई दुकान में शिफ्ट करने का काम हो।
सप्ष्टीकरण… हमारा उद्देश्य किसी भी व्यापारी का नुकसान करना नहीं है बात नियम की है या दुकान सड़क से हटाई जाएं या फिर किसी अन्य मैदान आदि जगह पर शिफ्ट की जावे और इंदौर के सभी व्यापारियों के साथ समान व्यवहार किया जावे। जिस तरह मेघदूत चौपाटी वाले व्यापारी अब स्थाई दुकान चलाने पर मजबूर हैं वैसे ही ठीक वैसे ही सराफा चौपाटी वाले व्यापारी भी अपनी व्यवस्था ख़ुद करें।