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मवई के वन संसाधनों पर अधिकार दिलाने प्रयास हो
संवाददाता इन्द्रमेन मार्को मंडला मध्यप्रदेश
मंडला। वन अधिकार कानून 2006 की कंडिका 3(1) (झ) में सामुदायिक वन संसाधनों की संरक्षण, पुनर्जीवित या संरक्षित या प्रबंध करने का अधिकार, जिसकी वे सतत् उपयोग के लिए परम्परागत रूप से संरक्षा या संरक्षण कर रहे हैं।यह दावा ग्राम सभा द्वारा सरकार की निर्धारित प्रपत्र (ग) में प्रस्तुत करना है। परन्तु मध्यप्रदेश में सामुदायिक वन संसाधनों पर अधिकार का दावा लगाने की संख्या बहुत ही कम है।कुछ दावे लगे भी हैं तो वो जांच सत्यापन के स्तर लंबित है।मुलसेवा समिति मवई के चरण परते ने कहा कि पखवाङ पंचायत के सखिया गांव द्वारा पूरी प्रक्रिया पूर्ण कर उपखंड स्तर समिति अध्यक्ष एसडीएम घुघरी को दिया जाना शेष है।मवई विकास खंड के रेंहगी, बहरमुंडा, सारसडोली, बिलगांव,मोहगांव, सुनेहरा, रेहटाखेङों, पोंडी आदि गांव में भी ग्राम स्तर पर प्रक्रिया जारी है।सामुदायिक वन संसाधनों पर समुदायिक दावा फार्म भरवाने में तकनीकी मदद बंगलूरू की एट्री संस्था दे रही है।
30 अक्टूबर 2024 को मध्यप्रदेश जनजातीय कार्य विभाग द्वारा पत्र लिखकर जिले के समस्त कलेक्टर और वन मंडलाधिकारी को कहा है कि ग्राम सभाओं को सामुदायिक वन अधिकार दावा दिये जाने की कार्यवाही सुनिश्चित करें।परन्तु दावा प्रपत्र को भरना एक जटिल कार्य है, इसमें आदिवासी विभाग, वन विभाग और समाजिक संस्थाओं का सक्रिय सहयोग आवश्यक है।
ज्ञात हो कि मध्य प्रदेश वन अधिकार अधिनियम 2006 का एटलस बनाने वाला उङीसा के बाद दूसरा राज्य है।भारत सरकार जनजातीय कार्य मंत्रालय के एफआरए (फोरेस्ट राईटस एक्ट) एटलस के अनुसार प्रदेश के कुल 25461 ग्रामों में एफआरए की संभावना है, जिसमें से 5018 ऐसे राजस्व ग्राम हैं, जिसकी सीमाओं के भीतर छोटे- बङे झाङ के जंगल हैं। 13709 ऐसे ग्राम हैं, जिनकी सीमा से जंगल लगे हैं तथा इन ग्रामों के भीतर भी छोटे – बङे झाङ के जंगल हैं। 5716 ऐसे ग्राम हैं, जिनकी सीमा से लगे जंगल है।