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*’लोग बाहर निकलते क्यों हैं.

*’लोग बाहर निकलते क्यों हैं…’*

 

*इंदौर-देवास रोड पर जाम पर बेतुका बयान देने वाली महिला वकील को एनएचएआई ने हटाया*

 

याचिका की सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने एनएचएआई से पूछा था कि आखिर पुल का काम कब पूरा होगा। इतनी देरी क्यों लग रही है। जाम की वजह से लोग परेशान हो रहे हैं। इस पर एनएचएआई की ओर से पैरवी कर रही महिला वकील ने कह दिया कि लोग निकलते क्यों हैं, इतनी जल्दी सड़क पर, बगैर काम के, जाम तो लगेगा ही।

 

इंदौर-देवास बायपास पर बार-बार जाम लगने के विरोध में मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ में पिछली सुनवाई पर विवादित बयान देने वाली महिला वकील को राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई ने प्रकरण से हटा दिया है। प्राधिकरण कीर ओर शुक्रवार को सुनवाई में दिल्ली के वकील ने जवाब देने के लिए समय ले लिया। मामले में अगली सुनवाई 23 जुलाई को होगी। बता दें कि इस मामले में पिछली सुनवाई 30 जून को हुई थी।

 

याचिका की सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने एनएचएआई से पूछा था कि आखिर पुल का काम कब पूरा होगा। इतनी देरी क्यों लग रही है। जाम की वजह से लोग परेशान हो रहे हैं। इस पर एनएचएआई की ओर से पैरवी कर रही महिला वकील ने कह दिया कि लोग निकलते क्यों हैं, इतनी जल्दी सड़क पर, बगैर काम के, जाम तो लगेगा ही। शनिवार-रविवार को जाम गेट पर भी जाम लगता है। वहां तो कोई सड़क नहीं बन रही। छुट्टी के दिन लोग घूमने निकल जाते हैं। महिला वकील के इस बयान की देशभर में आलोचना हुई थी। इसके बाद एनएचएआई ने वकील के बयान से खुद को अलग कर कहा था कि इससे उसका कोई मतलब नहीं है।

 

एनएचएआई की तरफ से दिल्ली से एडवोकेट एपी सिंह ने कोर्ट को वर्चुअल उपस्थित में बताया कि दो दिन पहले ही एनएचएआई ने उन्हें प्रकरण की फाइल सौंपी है। उन्हें जवाब तैयार करने का समय दिया जाए। इस पर कोर्ट ने समय देते हुए कहा कि अगली सुनवाई पर वह वर्चुअल नहीं, प्रत्यक्ष रूप से उपस्थित हों। बता दें कि इंदौर-देवास बायपास की बदहाली और 28 जून को लगे 36 घंटे के महाजाम को लेकर हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ में तीन अलग-अलग याचिकाएं दायर हुई थीं।

 

निर्माण एजेंसी ने अपना जवाब दाखिल कर दिया। ठेकेदार एजेंसी की तरफ से यह भी कहा गया है कि उसे दिसंबर 2025 तक अर्जुन बड़ौद फ्लाईओवर का काम पूरा करना है। कंपनी तय समय पर काम पूरा कर देगी। इसके पहुंच मार्ग भी कंपनी बना देगी, लेकिन बाकी सड़क का काम कौन कर रहा है, उसे इसकी जानकारी नहीं है। इस पर कोर्ट ने एनएचएआइ से स्थिति स्पष्ट करने के लिए कहा है। वहीं, सुनवाई में हाई कोर्ट ने इस मामले में दायर तीन अलग-अलग जनहित याचिकाओं को एक कर दिया। हाई कोर्ट ने कहा कि याचिकाओं में इंदौर-देवास मुद्दा एक है, इसलिए अलग-अलग सुनवाई की आवश्यकता नहीं।

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