
बच्चों के हाथों में मोबाइल फोन नहीं भगवत गीता, रामायण दीजिए
: पं अनिल मार्कण्डेय जी
खण्डवा-
श्रीमद् भागवत कथा में लिखें मंत्र और श्लोक केवल भगवान की आराधना और उनके चरित्र का वर्णन ही नहीं है। उसमें वह सारे तत्व हैं जिनके माध्यम से जीव अपना तो कल्याण कर ही सकता है साथ में अपने से जुड़े हुए लोगों का भी कल्याण कर सकता है। जीवन में व्यक्ति को अवश्य ही भागवत कथा का श्रवण करना चाहिए। बिना आमंत्रण के भी अगर कहीं भागवत कथा हो रही है तो वहां अवश्य जाना चाहिए। इससे जीव का कल्याण ही होता है। उक्त बातें मलगांव दाता साहब मां भद्रकाली मंदिर प्रांगण में चल रही श्रीमद भागवत के चतुर्थ दिवस की कथा में पंडित अनिल मार्कण्डेय जी ने कही , आगे कथा प्रसंग में श्री राम कथा का सुंदर भाव वर्णन किया,
भगवान श्री कृष्ण जन्मोत्सव का वर्णन किया। जिसे सुन श्रोता मंत्र मुग्ध होते हुए भक्ति भाव में डूब गए तो वहीं उन्होंने श्री कृष्ण से संस्कार की सीख लेने की बात कहते हुए कहा कि भगवान श्रीकृष्ण स्वयं जानते थे कि वह परमात्मा हैं उसके बाद भी वह अपने माता पिता के चरणों को प्रणाम करने में कभी संकोच नहीं करते थे। यह सीख भगवान श्रीकृष्ण से सभी को लेनी चाहिए। आज की युवा पीढ़ी धन कमाने में लगी हुई है लेकिन अपनी कुल, धर्म और संस्कार , मर्यादा का पालन बहुत कम लोग ही कर रहे हैं। युवाओं को आगे हो कर अपने संस्कार और धर्म की शिक्षा लेना जरूरी है , प्रत्येक माता पिता को अपने बच्चों को बचपन से ही अच्छे संस्कार और धर्म की शिक्षा देना चाहिए।जिससे उनके जीवन में आने वाली परेशानी से वह अपने आपको संभाल सके और वह
अपने और परिवार का नाम रौशन कर समाज में एक प्रतिष्ठि व्यक्ति के रूप में उभर कर सामने आए।
अपने बच्चों के हाथों में मोबाइल फोन नहीं श्रीमद भगवत गीता रामायण दीजिए जिसके अध्ययन से उनको भविष्य में सही निर्णय लेने की प्रेरणा मिलती रहेगी ।
कथा में बाल कृष्ण के जन्मोत्सव को धूमधाम से मनाया गया । कथा प्रतिदिन 12 से 4 चल रही है