विपक्षी दलों को एकजुट करने के लिए बनाए गए इंडिया गठबंधन में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी की प्रमुख ममता बनर्जी की महत्वपूर्ण भूमिका रही। लेकिन अब ममता बनर्जी का भी मानना है कि जिस उद्देश्य को लेकर इंडिया का गठन किया गया है, वह अब खरा नहीं उतर रहा है। ममता ने कहा कि यदि मुझे नेतृत्व करने का अवसर मिलेगा तो मैं जिम्मेदारी निभाने को तैयार हूं। मौजूदा समय में इंडिया गठबंधन का कोई संयोजक नहीं है, लेकिन इस गठबंधन की अगुवाई कांग्रेस के राहुल गांधी ही करते रहे हैं। राहुल गांधी के नेतृत्व में ही संसद भवन परिवार में विपक्षी सांसदों के प्रदर्शन होते रहे हैं, लेकिन अब राहुल गांधी के नेतृत्व को ममता बनर्जी ने ही चुनौती दे दी है। ममता की इस चुनौती के बाद ही सवाल उठा है कि राहुल गांधी इतना आत्म विश्वास कहां से लाते हैं? जहां तक कांग्रेस की स्थिति का सवाल है तो हाल ही में महाराष्ट्र और हरियाणा में बुरी हार का सामना करना पड़ा है। झारखंड में कांग्रेस जेएमएम के कंधे पर सवार है। कर्नाटक तेलंगाना और हिमाचल में ही कांग्रेस की सरकार हैं। हाल ही में उत्तर प्रदेश के उपचुनाव की 9 सीटों में से एक पर भी समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस के साथ गठबंधन नहीं किया। इसी प्रकार राजस्थान में 7 में से 1 उपचुनाव में कांग्रेस की जीत हुई है। फरवरी में दिल्ली में होने वाले विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस के साथ गठबंधन करने से इंकार कर दिया है। पंजाब ने पहले ही कांग्रेस को सत्ता से बाहर कर दिया। पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी ने कांग्रेस का सफाया कर रखा है। यानी कांग्रेस की इतनी बुरी दशा होने के बाद भी राहुल गांधी दिल्ली में स्वयं को विजेता के तौर पर प्रस्तुत करने में कोई कसर नहीं छोड़ते। राहुल गांधी भले ही मौजूदा समय में कांग्रेस के अध्यक्ष न हो, लेकिन कांग्रेस के सभी फैसले राहुल गांधी ही करते है। कांग्रेस में ऐसा पिछले 15 वर्षों से हो रहा है। सोनिया गांधी के अध्यक्ष रहते हुए भी राहुल गांधी ही फैसले लेते थे। पिछले 15 वर्षों में राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस ने कम से कम 90 बार हार का सामना किया। लेकिन इसके बाद भी राहुल गांधी ने कभी भी स्वयं को कमजोर नहीं दिखाया। राहुल गांधी संसद के अंदर और बाहर ऐसा प्रदर्शित करते हैं कि उनके इशारे पर ही देश की राजनीति चल रही है। ताजा बयान में राहुल गांधी का कहना है कि केंद्र सरकार को जाति आधारित मतगणना करनी ही पड़ेगी। राहुल गांधी यह दिखते है कि उनके कहे अनुसार ही मोदी सरकार निर्णय लेती है। आमतौर पर जब किसी दल की हार होती है तो उसका नेता नर्वस नजर आता है, लेकिन महाराष्ट्र की बुरी हार के बाद भी राहुल गांधी पर कोई असर नहीं देखा गया। पहाड़ों पर बर्फबारी शुरू हो जाने के साथ ही दिल्ली और उत्तर भारत में सर्दी शुरू हो गई है, लेकिन राहुल गांधी अभी भी हाफ बांह की सफेद रंग की टीशर्ट और जींस में ही नजर आते हैं। यानी राहुल गांधी स्वयं को मानसिक दृष्टि के साथ साथ शारीरिक दृष्टि से भी मजबूत होना प्रदर्शित करते हैं।
जयपुर पहुंचे:
कांग्रेस के सर्वोदय संगम प्रशिक्षण शिविर में भाग लेने के सांसद राहुल गांधी 8 दिसंबर को जयपुर पहुंचे। यह शिविर जयपुर के निकट खेड़ापति आश्रम धाम परिसर में हो रहा है। जयपुर एयरपोर्ट पहुंचने पर पूर्व सीएम अशोक गहलोत और प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा आदि नेताओं ने राहुल गांधी का स्वागत किया। राहुल गांधी ने काली टी शर्ट और काली जींस पहन रखी थी। उल्लेखनीय है कि जयपुर में 8 दिसंबर से ही राइजनिंग राजस्थान समिट शुरू हो रही है। समिट में भाग लेने के लिए देश के प्रमुख उद्योगपति जयपुर में है। तय कार्यक्रम के मुताबिक 9 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी समिट को संबोधित करेंगे। राहुल गांधी के काले परिधान को लेकर राजनीतिक क्षेत्रों में चर्चाएं व्याप्त है।