विकास के नाम पर काट दिए बाड़ी से देवरी के बीच के हजारों हरे भरे पेड़ ठेकेदार ने वृक्ष लगाने की औपचारिकता हो रही वाहन दुर्घटनाएं ■ संवाददाता गोविन्द दुबे रायसेन बरेली/ सरकार वृक्षारोपण के लिए अथक प्रयास कर रही है। जब भोपाल से जबलपुर फोरलेन – 45 सड़क का निर्माण हुआ, तब पुरानी एनएच-12 सड़क के किनारों पर लगे हजारो वृक्षों को सड़क निर्माण कंपनी द्वारा काट
दिया गया। हजारो बडे विशाल वृक्षों की टनों लकडी कहाँ गई जांच का विषय बना हुआ है। जिन हजारो वृक्षों को काटा गया उसके बदले में 10 गुना वृक्षों को लगाकर ठेकेदार द्वारा 3 वर्षों तक उनकी देखरेख रक्षा करना थी। एमपीआरडीसी और ठेकेदार की मिलीभगत से हजारो वृक्ष कट गए, टनों लकडी गायब हो गई और बाडी से देवरी तक फोरलेन डिवाइडर में वृक्ष लगाने की वर्षों से बनी उदासीनता से
फोरलेन पर रात्रि में वाहनों की लाइटें सीधी पडने से दुर्घटनाए हो रही है। कटे वृक्ष, हजारो टन लकडी गायब बाड़ी से देवरी सिन्दूर नदी तक लगभग 100 कि.मी. पुरानी एनएच सड़क की चौडाई कम थी। इस कारण सड़क के किनारों पर वर्षों पुराने हजारों विशाल वृक्ष लगे हुए थे। फोरलेन सड़क निर्माण के दौरान हजारो विशाल वृक्षों को जडो के साथ उखाड दिया गया। वृक्षों की हजारो टन लकडी
एनएच-12, एनएचआई, एमपीआरडसीसी सड़क निर्माण में ठेकेदार किसकी जिम्मेदारी में रही। उक्त हजारो टन लकडी को नीलाम किया गया या उसकी आपस में बटवारा कर लाखो की राशि हजम कर ली गई। जांच और कार्यवाही का विषय बना हुआ है। सड़क पर बढता प्रर्दूषण लगभग 5 वर्षों से फोरलेन 45 सड़क का निर्माण होने के साथ हजारो वाहनों का आवागमन हो रहा है। फोरलेन की सीसी
सड़क क्षतिग्रस्त हो रही है। सड़क पर लम्बी चौड़ी दरारें बनती और बढ़ती जा रही है। बाड़ी से उदयपुरा के बीच 60 कि.मी. में दो स्थानों पर वाहनों से टोल टेक्स की अवैध वसूली हो रही है। मुख्य सड़क के बीच बना डिवाइडर की अधिकांश भूमि बिना वृक्षों के खाली पडी हुई है। इस खाली पडी भूमि पर ठेकेदार द्वारा काटे गए वृक्षों से 10 गुना संख्या में वृक्षारोपण और तीन वर्षों तक देखभाल सुरक्षा करना
थी। जिसकी मिलीभगत से आज भी उदासीनता बनी हुई है। वाहनों के भारी आवागमन से मार्ग पर प्रदूषण बना रहता है। रेत मिट्टी के कण उड कर वाहनों से टकराने, दो पहिया वाहन चालकों की आंखो, मुंह, नाक, कानों में भरने की परेशानियों भरी स्थिति बन रही है। बढ़ रही दुर्घटनाए – फोरलेन 45 पर जहाँ भी क्रासिंग है, वहाँ तकनीकि ढंग से कार्य न किए जाने, चौराहों के पास अतिक्रमण और दुकानें
लगने के साथ, पूरे मार्ग पर स्थान- स्थान पर आवारा मवेशियों के झुंड जमे रहते है। मवेशियों को बचाने, डिवाइडर में वृक्षारोपण न होने से सामने वाले वाहनों की रोशनी सीधी आंखो पर पडने से चकाचौंध की स्थिति में वाहनों का संतुलन बिगडने के कारण तेजी से घटनाएं बढ रही है। सेकडो मवेशियां वाहनों की चपेट में आने से मर और घायल हो चुकी है। दर्जनों हादसों में लोगो की असमय मौत होने के बाद भी ठेकेदार और एमपीआरडीसी के जिम्मेदारों की उदासीनता बनी हुई है।