
*पेशाब में रुकावट या बार बार संक्रमण हो तो इसे न करें नजरअंदाज*
*अलीगढ़:* यूरेथ्रा शरीर का एक छोटा लेकिन महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो मूत्र को यूरिनरी ब्लैडर से शरीर के बाहर ले जाता है। जब यह नली किसी कारणवश सिकुड़ जाती है, तो उसे मूत्रमार्ग संकुचन कहा जाता है। यह समस्या शुरुआत में मामूली लग सकती है, लेकिन समय पर इलाज न होने पर यह यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन, यूरिनरी ब्लैडर की खराबी और यहां तक कि किडनी को नुकसान भी पहुंचा सकती है।
यह स्थिति अधिकतर पुरुषों में देखी जाती है, खासकर मध्य आयु वर्ग या बुजुर्गों में। इसका कारण आंतरिक चोट या सूजन होती है, जो कई वजहों से हो सकती है — जैसे दुर्घटना या पेल्विक फ्रैक्चर, यौन संक्रमण (गोनोरिया, क्लैमाइडिया), बार-बार कैथेटर डालना, सर्जरी के बाद की जटिलताएं या कुछ त्वचा रोग जैसे लिचेन स्क्लेरोसस।
बीएलके-मैक्स अस्पताल के यूरोलॉजी, यूरो-ऑन्कोलॉजी विभाग के निदेशक डॉ. यजवेन्द्र प्रताप सिंह राणा ने बताया कि “लक्षणों में कमजोर या धीमी मूत्रधारा, पेशाब करने में जोर लगाना, बार-बार संक्रमण, अधूरा मूत्रत्याग का अहसास या कभी-कभी पूरी तरह से मूत्र रुक जाना शामिल है। कुछ पोस्टमेनोपॉज़ल महिलाओं में भी यह समस्या देखी गई है, जिन्हें पेशाब करने में परेशानी हो तो तुरंत विशेषज्ञ से सलाह लेनी चाहिए। निदान के लिए डॉक्टर कुछ जांचें करते हैं, जैसे अल्ट्रासाउंड (USG KUB), यूरोफ्लोमेट्री, RGU-MCU (एक्स-रे), या सिस्टोस्कोपी जिसमें एक छोटी कैमरा नली से मूत्रमार्ग को देखा जाता है।“
डॉ. राणा ने आगे बताया कि “इलाज की बात करें तो छोटे संकुचन में मूत्रमार्ग को चौड़ा करना (डाइलेशन) या एक मामूली कट (VIU) लगाया जा सकता है, लेकिन ये अक्सर स्थायी समाधान नहीं होते। जड़ों से इलाज के लिए यूरेथ्रोप्लास्टी सबसे प्रभावी सर्जरी है। इसमें संकुचित हिस्से को हटाकर दो स्वस्थ सिरों को जोड़ा जाता है (EPA), या लंबे या जटिल मामलों में गाल की अंदरूनी त्वचा (बक्कल म्यूकोसा) से ग्राफ्ट लेकर मूत्रमार्ग को पुनर्निर्मित किया जाता है (BMG)। कभी-कभी गंभीर मामलों में दो चरणों में सर्जरी की जाती है, खासकर जब पहले की सर्जरी असफल रही हो या त्वचा की बीमारी मौजूद हो। हाल के वर्षों में इलाज में कई आधुनिक बदलाव आए हैं — जैसे टिश्यू इंजीनियरिंग (Uregrow) जिसमें मरीज की खुद की कोशिकाओं से लैब में टिश्यू तैयार कर इलाज किया जाता है, जिससे गाल से ग्राफ्ट लेने की जरूरत नहीं पड़ती। रॉबोटिक सर्जरी और मिनिमली इनवेसिव तकनीकें भी अब चुनिंदा जटिल मामलों में इस्तेमाल हो रही हैं, जो सटीकता बढ़ाती हैं और रिकवरी को आसान बनाती हैं।“
सबसे अहम बात है — समय पर पहचान और इलाज। कई मरीज लक्षणों को नजरअंदाज कर देते हैं, जिससे स्थिति बिगड़ जाती है और जटिल सर्जरी की जरूरत पड़ती है। इसलिए अगर पेशाब करने में कठिनाई, बार-बार संक्रमण या मूत्रधारा कमजोर हो, तो देर न करें — किसी अच्छे यूरोलॉजिस्ट से सलाह लें और समय रहते इलाज शुरू करें।
मूत्रमार्ग संकुचन अब पूरी तरह से ठीक होने वाली स्थिति है, बशर्ते सही समय पर सही इलाज लिया जाए। आज के आधुनिक इलाज विकल्पों और तकनीकों से न केवल समस्या को जड़ से ठीक किया जा सकता है, बल्कि मरीज की जीवन गुणवत्ता भी बेहतर हो जाती है।