
आज से दो दिवसीय उत्तर वाहिनी नर्मदा परिक्रमा प्रारंभ
चैत्र मास में परिक्रमा का विशेष महत्व
माँ नर्मदा उत्तरवाहिनी परिक्रमा क्या है?
पतित पावनी माँ नर्मदा जिस स्थान पर उत्तर दिशा में प्रवाहित होती है, उस क्षेत्र को उत्तरवाहिनी क्षेत्र कहते हैं।
उत्तर वाहिनी का महत्व :- स्कंदपुराण, मतस्य पुराण, वायु पुराण, पद्मपुराण और भृगु संहिता में वर्णित रेवाखड के श्लोक में वर्णन आता है कि मार्कण्डेय मुनि जी ने युधिष्ठिर सहित पाण्डवों और कुछ देवताओं को उत्तर दिशा की ओर प्रवाहित हुई नर्मदा जी के स्थानों का महत्व कहा है।
चैत्र मास में, उत्तरवाहिनी माँ नर्मदा परिक्रमा करने से सम्पूर्ण परिक्रमा का फल प्राप्त होता है।
त्वदीचि नमयात्रा प्रतिची यात्रा जान्हवी।
दौत्रगच्छन्त को श्रेष्ठ, प्राच्येन सरस्वती।।
अर्थात – जहाँ नर्मदा उत्तरवाहिनी, गंगा पश्चिमवाहिनी और सरस्वती पूर्व वाहिनी होती है,तो वह क्षेत्र धर्मपारायण होता है।
यत्रास्ते भगवान विष्णु रेवा च उत्तरवाहिनी।
तत्र स्नानार्थ महाराज,वैष्णव लोक माँ पूर्यातु।।
अर्थात जिस स्थान पर माँ रेवा उत्तर वाहिनी प्रवाहित हुई हो और भगवान विष्णु उत्तराभिमुख हो। वहाँ स्नान करने से विष्णुलोक की प्राप्ति होती है।
✍️यासमीन मोनू ,जिला रिपोर्टर मंडला