
यूडीएच मंत्री झाबर सिंह खर्रा के हालिया बयान ने राजस्थान की शहरी सरकार में हलचल मचा दी है। मंत्री ने संकेत दिए हैं कि 90 नगर निकाय बोर्डों का कार्यकाल समय से पहले समाप्त किया जा सकता है। भजनलाल सरकार में मंत्री झाबर सिंह खर्रा शनिवार को झुंझुनूं दौरे पर थे, जहां उन्होंने ‘वन स्टेट, वन इलेक्शन’ की नीति पर जोर देते हुए यह बड़ा संकेत दिया।
2025 में होंगे एक साथ चुनाव
मंत्री खर्रा ने स्पष्ट किया कि सरकार 2025 में सभी निकायों के एक साथ चुनाव करवाने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि कानून में प्रावधान है कि सरकार छह महीने पहले तक निकायों का कार्यकाल समाप्त कर सकती है। वर्तमान में 90 निकाय बोर्ड का कार्यकाल जनवरी 2026 में समाप्त होना है, लेकिन इसे एक साल पहले ही भंग करने की योजना बनाई जा रही है।
चुनाव से पहले बड़ा प्रशासनिक बदलाव संभव
सरकार की इस योजना को लागू करने के लिए तैयारियां भी शुरू कर दी गई हैं। मंत्री ने कहा कि सीमा वृद्धि, सीमा विस्तार और वार्डों के पुनर्गठन की प्रक्रिया को राजनीतिक हस्तक्षेप से दूर रखा जाएगा। इसी कारण से, जिन निकायों में अध्यक्षों का कार्यकाल पूरा हो चुका है, वहां पर प्रशासनिक अधिकारियों को प्रशासक के रूप में नियुक्त किया गया है।
‘वन स्टेट, वन इलेक्शन’ पर सरकार गंभीर
मंत्री खर्रा ने दोहराया कि सरकार राज्य में ‘वन स्टेट, वन इलेक्शन’ नीति को पूरी तरह लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है। इस नीति के तहत सभी निकायों के चुनाव एक ही समय पर कराए जाएंगे, जिससे प्रशासनिक प्रक्रियाओं में एकरूपता बनी रहेगी।
जल संकट पर भी दिया बयान
अपने दौरे के दौरान मंत्री ने झुंझुनूं, चूरू और सीकर के जल संकट को लेकर भी बड़ा बयान दिया। उन्होंने बताया कि सरकार यमुना नदी के पानी को इन जिलों तक पहुंचाने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। इसके लिए दो दिन पहले ही ज्वाइंट टास्क फोर्स का गठन किया गया है। यह टास्क फोर्स जल्द ही सर्वे का कार्य पूरा कर डीपीआर तैयार करेगी।
विपक्ष ने उठाए सवाल
सरकार की इस योजना को लेकर विपक्षी दलों ने भी सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं। उनका कहना है कि सरकार निकाय बोर्ड को समय से पहले भंग कर लोकतांत्रिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप कर रही है। वहीं, राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस कदम से आगामी चुनावों में बड़े राजनीतिक समीकरण बदल सकते हैं।
अब आगे क्या?
राज्य सरकार के इस फैसले पर अंतिम मुहर कब लगेगी, यह देखने वाली बात होगी। फिलहाल, मंत्री के बयान से स्पष्ट हो गया है कि राजस्थान में नगर निकायों के राजनीतिक समीकरण बदलने वाले हैं। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि इस फैसले का असर स्थानीय राजनीति और आगामी चुनावों पर कैसा पड़ता है।