गुप्त नवरात्रि शुरू ,हवन आदि कर शनि ,राहु और केतु से छुटकारा पाने की माना जाता सशक्त साधन
रजौली (नवादा): रजौली प्रखंड क्षेत्र में इस बार गुप्त नवरात्रि में मां आदिशक्ति की आराधना 6 जुलाई यानी शनिवार से शुरू होगी। वैसे सनातन धर्म में वर्ष में चार नवरात्रि होते हैं। आमतौर पर शारदीय व चैत्र नवरात्र ज्यादा लोकप्रिय होता है, लेकिन गुप्त नवरात्र का भी विशेष महत्व है। गुप्त नवरात्रि के दिनों में देवी मां के नौ रूपों की पूजा अर्चना की जाती है। पुरानी बस स्टैंड ज्योतिषाचार्य घनश्याम पांडेय ने बताया की साल में चार बार नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। इसमें एक चैत्र नवरात्रि दूसरा शारदीय नवरात्रि आश्विन माह में और दो गुप्त नवरात्रि माघ और आषाढ़ महीने में मां आदिशक्ति की आराधना की जाती है।वहीं तंत्र-मंत्र की साधना में लीन रहने वाले लोगों के लिए गुप्त नवरात्रि बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है।इसे करने से मनवांछित फल की प्राप्ति होती है।
सुबह 5:11 से शुरू हो रहा स्थापना का शुभ मुहूर्त : गुप्त नवरात्रि की स्थापना का शुभ मुहूर्त 6 जुलाई की सुबह 5:11 मिनट से 7:26 तक कर सकते हैं। अगर इस मुहूर्त में कलश स्थापना नहीं कर पाते हैं तो अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजे से लेकर 12:15 बजे तक कर लें।इन दो मुहूर्त में कलश स्थापना करना शुभकारी होगा। सनातन जानकारी के मुताबिक जिस तरह वर्ष में चार बार नवरात्र आते हैं और जिस प्रकार नवरात्रि में देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है।ठीक उसी तरह गुप्त नवरात्रि में 10 महाविधाओं के साधन की जाती है। गुप्त नवरात्रि विशेष कर तांत्रिक क्रियाएं,शक्ति साधना,महाकाल आदि से जुड़े लोगों के लिए विशेष महत्व रखती है।
गुप्त नवरात्रि की प्रमुख देवियां : गुप्त नवरात्र के दौरान कई साधक महाविद्या तंत्र साधना के लिए मां काली, तारा देवी,त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, मां धूमावती, माता बगलामुखी, मातंगी और कमला देवी की पूजा करते हैं। गुप्त नवरात्र में दुर्लभ शक्तियों की प्राप्ति के लिए शक्ति साधना और महाकालिका की खास पूजा विभिन्न मंदिरों और घरों में होती है। मां की आराधना, हवन आदि कर शान, राहु और केतु से छुटकारा पाने की कामना इन ग्रहों से ग्रसित लोग करते हैं।यह तीनों ग्रह तंत्र कारक माने जाते हैं।इसलिए इन ग्रहों से छुटकारा पाने के लिए तंत्र साधना किया जाता है।
शक्ति साधना का सबसे महत्वपूर्ण पर्व : शक्ति साधना का सबसे महत्वपूर्ण पर्व नवरात्रि को सनातन धर्म का सबसे पवित्र और ऊर्जा दायक पर्व माना गया है।धार्मिक मान्यताओं के अनुसार गुप्त नवरात्रि में 10 महाविद्याओं की पूजा अर्चना की जाती है। इस समय की गई साधना जन्म कुंडली के समय 200 को दूर करने वाली तथा चारों पुरुषार्थ धर्म, अर्थ काम और मोक्ष को देने वाली होती है।इसका सबसे महत्वपूर्ण समय मध्य रात्रि से सूर्योदय तक अधिक प्रभावशाली बताया गया है।