देवास। पटवर्धन मार्ग, मोती बंगला में निम्बालकर परिवार द्वारा आयोजित श्रीमद भागवत कथा की श्री कृष्ण-सुदामा चरित्र एवं भंडारा प्रसादी के साथ पूर्णाहुति हुई। उमेश निम्बालकर ने बताया कि कथा के छठवें दिवस श्रीकृष्ण-रूक्मणि विवाह हुआ। वहीं अंतिम दिवस श्रीकृष्ण सुदामा चरित्र का प्रसंग हुआ। भक्तों ने जहां श्रीकृष्ण-रुक्मणि विवाह में उत्साह पूर्वक भाग लिया। वहीं सुदामा चरित्र सुनकर भाव विभोर हो गए। भक्तजनों रूक्मणि विवाह पर जमकर फूलों की होली खेल भजनों पर जमकर नृत्य किया। पं. ओमप्रकाश केशवरे ने कहा कि सुदामा जी संसार के सबसे अनोखे भक्त रहे है। वह जीवन में जीतने गरीब नजर आए, उतने वे मन से धनवान भी थे। उन्होंने अपने सुख व दुखों को भगवान की इच्छा पर सौंप दिया था। सुदामा, भगवान श्रीकृष्ण से जब मिलने आए तो भगवान श्रीकृष्ण ने सुदामा के फटे कपड़े नहीं देखे, बल्कि मित्र की भावनाओं को देखा। मनुष्य को अपना कर्म नहीं भूलना चाहिए। अगर सच्चा मित्र है तो श्रीकृष्ण और सुदामा की तरह होना चाहिए। सत्ता पाकर भी व्यक्ति को घमंड नहीं करना चाहिए। श्रीकृष्ण-सुदामा चरित्र प्रसंग का श्रवण कर भक्तजन भाव विभोर हो गए।
2,519 1 minute read