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विधायक ‎छाया मोरे ने रानी दुर्गावती बलिदान दिवस पर दिखाई जननायिका जैसी उपस्थिति,

रानी दुर्गावती सिर्फ इतिहास की ही नहीं नारी के भीतर छुपी शक्ति का प्रतीक है, ,,विधायक छाया मोरै,,

विधायक ‎छाया मोरे ने रानी दुर्गावती बलिदान दिवस पर दिखाई जननायिका जैसी उपस्थिति,

‎ रानी दुर्गावती सिर्फ इतिहास की ही नहीं नारी के भीतर छुपी शक्ति का प्रतीक है, ,,विधायक छाया मोरै,,

‎खंडवा।वीरांगना रानी दुर्गावती के 462वें बलिदान दिवस के अवसर पर रविवार 6 जुलाई को इंदौर स्थित माई मंगेश सभागृह, में भव्य आयोजन किया गया। आयोजन में देशभर से आए बुद्धिजीवियों, समाजसेवियों, महिलाओं व युवाओं की बड़ी उपस्थिति देखने को मिली। समाजसेवी व प्रवक्ता सुनील जैन ने बताया कि इस गरिमामयी कार्यक्रम में पंधाना विधायक छाया मोरे ने टंट्या मामा की जन्मस्थली क्षेत्र से अपनी प्रभावशाली उपस्थिति दर्ज कराते हुए जननायिका जैसी भूमिका निभाई।
‎‎कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि केंद्रीय राज्य मंत्री सावित्री ठाकुर, मुख्य वक्ता के रूप में मनीषा धुर्वे तथा विशेष अतिथि के रूप में सांसद रतलाम अनिता नागर चौहान और विधायक पंधाना छाया मोरे विशेष अतिथि रूप से मौजूद रहीं।
‎‎कार्यक्रम की शुरुआत से लेकर समापन तक छाया मोरे केंद्रबिंदु बनी रहीं। प्रवक्ता सुनील जैन ने बताया कि उनके सभागार में प्रवेश करते ही उपस्थितजनों में एक विशेष ऊर्जा का संचार हुआ। वे सांस्कृतिक प्रस्तुतियों से लेकर बौद्धिक परिचर्चाओं तक हर गतिविधि में पूरे उत्साह से सम्मिलित हुईं।‎अपने विचार साझा करते हुए छाया मोरे ने कहा कि वीरांगना रानी दुर्गावती के अद्भुत साहस, नेतृत्व और आत्मबलिदान से आज की पीढ़ी को बहुत कुछ सीखने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि रानी दुर्गावती सिर्फ इतिहास की नायिका नहीं, बल्कि वे आज भी हर नारी के भीतर छुपी शक्ति का प्रतीक हैं। उन्होंने नारी शक्ति को संगठित कर समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने की दिशा में कार्य करने का आह्वान किया। ‎कार्यक्रम में उपस्थित सभी अतिथियों ने रानी दुर्गावती के योगदान को भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की और इस बलिदान दिवस को नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा दिवस के रूप में मनाने का संकल्प लिया।‎ इस ऐतिहासिक बलिदान दिवस को भव्य और सारगर्भित स्वरूप प्रदान किया गया। आयोजन समिति द्वारा सभी अतिथियों का पुष्पगुच्छ व स्मृति चिन्ह देकर स्वागत किया गया।‎कार्यक्रम में बड़ी संख्या में युवाओं, महिलाओं, छात्र-छात्राओं और जनजातीय समुदाय के लोगों की उत्साहजनक भागीदारी रही।

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