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*विद्यार्थी परिषद ने सोफिया कान्वेंट स्कूल में मनाया लोकमाता उत्सव*

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खण्डवा-अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद खंडवा नगर मंत्री अजय बंजारे ने बताया कि पुण्यश्लोक देवी अहिल्याबाई होल्कर जी की (300 वी) त्रिशताब्दी वर्ष जयंती चल रही है विद्यार्थी परिषद द्वारा पूरे देश में देवी अहिल्याबाई की 300 वी वर्ष जयंती बड़े धूमधाम मना रही है इसी निमित्त विद्यार्थी परिषद खंडवा द्वारा नगर के सोफिया कान्वेंट स्कूल परिसर में संगोष्ठी के रूप में लोकमाता उत्सव आयोजित किया गया जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में शिक्षाविद् राहुल गीते एवं मुख्य वक्ता के रूप में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के माननीय विभाग कार्यवाह परमानंद पाटिल एवं फादर उपस्थित रहे मंचासिन अतिथियों ने विद्या की देवी मां सरस्वती, युवाओं के प्रेरणास्त्रोत स्वामी विवेकानंद जी एवं पुण्य श्लोक देवी अहिल्याबाई होल्कर जी की तस्वीर के समक्ष दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का विधिवत शुभारंभ किया इसके पश्चात अतिथियों का स्वागत स्मृति चिन्ह एवं पुष्पगुच्छ भेंट कर किया गया कार्यक्रम की भूमिका संस्था प्राचार्य ने रखी इसके तत्पश्चात मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित श्री परमानंद पाटिल ने विद्यार्थी को संबोधित करते हुए कहा किभारत ऐसे ही विश्व गुरु नहीं बना था। यहां की महिलाओं ने इतिहास में वह स्थान अर्जित किया है जिससे देवता भी वंचित रहे हैं। लौह महिला महारानी अहिल्याबाई होल्कर का व्यक्तित्व व कृतित्व उन्हें विश्व की श्रेष्ठतम महिलाओं की पंक्ति में अग्रणी बनाता है जिनका भारत के इतिहास और जनमानस पर विशेष प्रभाव रहा है। विश्व के सबसे बड़े महिला संगठन राष्ट्र सेविका समिति कर्तृत्व के आदर्श के रूप में लोकमाता अहिल्याबाई होलकर का अनुसरण करती है बचपन के संस्कार ही बच्चों के भविष्य का निर्माण करते हैं। यही संस्कार जीवन की सफलता का मार्ग प्रशस्त करते हैं। किसे पता था चौंडी ग्राम जामखेड़ अहमदनगर में एक छोटी सी सौम्य, शांत, तेजवान बालिका मालवा के सूबेदार मल्हारराव को अपनी भक्ति व गायन से इस कदर प्रभावित कर देगी कि वह अपने पुत्र खंडेराव के विवाह के लिए मानकोजी के समक्ष प्रस्ताव रखने से भी नहीं हिचकिचाएंगे
बालिका के संस्कारों से प्रभावित मल्हारराव आश्वस्त थे कि यह बालिका अपने संस्कारों ,कुशल व्यवहार ,सेवा भावना से सभी का हृदय जीत लेगी और क्रोधी, हठी, विषय वासनाओं में रत पुत्र खंडेराव को सही दिशा में लाने में अवश्य सफल होगी और हुआ भी यही। बालिका अहिल्याबाई में आदर्श भारतीय नारी के सभी गुण विद्यमान थे। अपने विवेक, नम्रता, सेवा, त्याग और सहनशीलता का ही यह परिणाम था कि खंडेराव में आत्म गौरव व वीरता का भाव उत्पन्न हुआ। खंडेराव के जीवन में आए आमूल चूक परिवर्तनों का कारण अहिल्याबाई बनी। अहिल्याबाई ने भी शनै: शनै: राजकाज के कार्यों में रुचि लेना प्रारंभ किया और युद्ध क्षेत्र में गोला बारूद, बंदूक, तोप और रसद की व्यवस्था की जिम्मेदारी अब उन्हीं पर थी। इसी बीच 1745 व 1748 में अहिल्याबाई ने क्रमशः मालेराव व मुक्ताबाई को जन्म दिया एवं शिक्षाविद राहुल गीते ने भी देवी अहिल्याबाई के जीवन चरित्र पर चर्चा की कार्यक्रम का संचालन विशाल राने ने किया एवं कार्यक्रम का आभार ज्योति यादव ने किया

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