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मुक्ति का सर्वोत्तम पंथ है श्रीमद्भागवत महापुराण : स्वामी गिरीशानंद सरस्वती महाराज

मुक्ति का सर्वोत्तम पंथ है श्रीमद्भागवत महापुराण : स्वामी गिरीशानंद सरस्वती महाराज

मथुरा।वृन्दावन।छटीकरा रोड़/गोपालगढ़ स्थित श्रीराधा गिरधर गोपाल मन्दिर में सप्त दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ महोत्सव अत्यंत श्रद्धा एवं धूमधाम के साथ प्रारम्भ हो गया है।महोत्सव का शुभारंभ माननीय जस्टिस (मध्यप्रदेश) के. के. लाहोटी, मनोज राय (कमांडेंट- बीएसएफ), संत गोविंदानंद सरस्वती एवं उमा शक्ति पीठ के राष्ट्रीय प्रवक्ता पंडित आर. एन. द्विवेदी (राजू भैया) ने श्रीमद्भागवत ग्रंथ का वैदिक मंत्रोच्चार के मध्य पूजन-अर्चन करके किया।इससे पूर्व श्रीराधा गिरधर गोपाल मंदिर से कथा स्थल तक गाजे-बाजे के मध्य श्रीमद्भागवतजी की भव्य शोभायात्रा निकाली गई।जिसमें असंख्य महिलाएं पीत वस्त्र पहने, सिर पर मंगल कलश धारण किए चल रही थी।इसके अलावा सभी भक्त-श्रृद्धालु हरिनाम संकीर्तन करते हुए साथ चल रहे थे।

तत्पश्चात् व्यासपीठ से प्रख्यात संत स्वामी गिरीशानंद सरस्वती महाराज ने सभी भक्तो-श्रृद्धालुओं को श्रीमद्भागवत महापुराण के महात्म्य की कथा श्रवण कराते हुए कहा कि कलयुग में जीव के कल्याण के लिए यदि सबसे सरल उपाय कोई है, तो वो श्रीमद्भागवत महापुराण की अमृतमयी है।इस ग्रंथ का श्रवण करने से धुंधकारी जैसा महापापी भी प्रेत योनि से मुक्त हो गया था।इसीलिए इस ग्रंथ को मुक्ति पंथ कहा गया है।

पूज्य महाराजश्री ने कहा कि महर्षि वेदव्यासजी द्वारा रचित श्रीमद्भागवत महापुराण केवल एक ग्रंथ ही नहीं अपितु स्वयं अखिल कोटि ब्रह्माण्ड नायक परब्रह्म परमेश्वर भगवान श्रीकृष्ण का वांग्यम्य स्वरूप है।इस ग्रंथ का श्रवण जो भी व्यक्ति जिस कामना से करता है, उसकी वो कामना निश्चित ही पूर्ण होती है।

इस अवसर पर वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. गोपाल चतुर्वेदी, महोत्सव के संयोजक प्रदीप टीबड़ेवाल, श्रीमती कुसुम, आदर्श, उदित टीबड़ेवाल, राजेंद्र प्रसाद खेतान, श्रीमती सरला खेतान आदि के अलावा विभिन्न क्षेत्रों के तमाम गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।

राजकुमार गुप्ता

जिला संवाददाता मथुरा

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