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ग्रामीण महिला सशक्तिकरण के लिए प्रशिक्षण कार्यशाला सम्पन्न

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ग्रामीण महिला सशक्तिकरण के लिए प्रशिक्षण कार्यशाला सम्पन्न

खण्डवा//ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने और स्वयं सहायता समूहों को सुदृढ़ बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में, राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक “नाबार्ड” के तत्वावधान में “नेतृत्व प्रशिक्षण एवं क्षमता निर्माण कार्यशाला” का आयोजन शुक्रवार को किया गया। इस कार्यक्रम में जिले की प्रगतिशील स्व सहायता समूहों की महिला सदस्यों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। कार्यक्रम में जिला विकास प्रबंधक नाबार्ड श्री जितेंद्र एम. खैरनार ने स्वागत भाषण के दौरान एसएचजी आंदोलन में नाबार्ड की ऐतिहासिक एवं वर्तमान भूमिका पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने स्पष्ट किया, “नाबार्ड ने देश में एसएचजी-बैंक लिंकेज कार्यक्रम की नींव रखी और आज भी हम नीति निर्माण, प्रशिक्षकों के प्रशिक्षण और वित्तीय समावेशन के नवाचारों को बढ़ावा देकर इस आंदोलन को मजबूत कर रहे हैं।” उन्होंने समूहों से आह्वान किया कि वे नियमित बचत, पूर्ण पारदर्शिता और सामूहिक निर्णय को अपनी मजबूती का आधार बनाएं।
कार्यशाला में श्री आनंद शर्मा, जिला परियोजना प्रबंधक, एनआरएलएम ने सूक्ष्म उद्यमिता की राह आसान बनाने पर मार्गदर्शन दिया। उन्होंने कहा, “सफलता के लिए बड़ी पूंजी नहीं, बल्कि बड़ा सपना और छोटी शुरुआत चाहिए।” उन्होंने महिलाओं को मुर्गी पालन, मशरूम की खेती और घर-आधारित ब्यूटी पार्लर जैसे कम लागत वाले व्यवसाय मॉडल के बारे में बताया। साथ ही, मध्य प्रदेश सरकार की ‘मुख्यमंत्री उद्यम क्रांति योजना’ और ‘प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम’ जैसी योजनाओं में आवेदन की पूरी प्रक्रिया, आवश्यक दस्तावेज और सब्सिडी के बारे में विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने जैविक खेती और फूलों की खेती को भी लाभकारी विकल्प बताया।
श्री महेश यादव, प्रबंधक, उद्यानिकी विभाग ने कृषि आधारित उद्यमिता के अवसरों पर एक विशेष प्रस्तुति दी। उन्होंने पीएम एफएमई योजना के तहत सहायता का विवरण देते हुए बताया, “इस योजना के तहत आपको परियोजना लागत का 35% तक का अनुदान मिल सकता है। श्री धर्मेंद्र भदौरिया, जिला प्रबंधक, एन आर एल एम ने अपने संबोधन में महिलाओं को सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन के एजेंट बनने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, “आप केवल ऋण लेने वाली नहीं, बल्कि समाज में बदलाव लाने वाली बनें। अपने समूह को एक ‘उत्पादन समूह’ और फिर ‘व्यवसाय समूह’ में बदलने का लक्ष्य रखें।” उन्होंने सामूहिक ब्रांडिंग और बाजार संपर्क बढ़ाने के उपाय भी सुझाए।

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