अन्य खबरे

सांसद जी,अब हेलीकॉप्टर भेजिए मेरा नौवां महीना है।

फिर झकझोरा सिस्टम सड़क की लड़ाई पहुंची नये मोड़ पर।

 

सीधी : “मैं लीला साहू हूं, और ये मेरी लड़ाई है” – ये शब्द अब किसी एक महिला की आवाज़ नहीं, पूरे सीधी जिले के संघर्ष की गूंज बन चुके हैं.रामपुर नैकिन जनपद पंचायत के ग्राम खड्डी खुर्द के बगैहा टोला की रहने वाली लीला साहू ने मंगलवार को एक नया वीडियो जारी किया, जिसमें उन्होंने सांसद डॉ. राजेश मिश्रा से सीधे कहा – “अब हेलीकॉप्टर भेजिए, मेरा नौवा महीना है, दर्द से हालत खराब है.आपने कहा था ना कि जरूरत पड़ी तो हेलीकॉप्टर भेजूंगा – तो अब वह वक्त आ गया है.”
लीला इन दिनों गर्भावस्था के अंतिम चरण में हैं, और डिलीवरी पेन की वजह से उनकी स्थिति बेहद नाज़ुक बनी हुई है.जिस सड़क को लेकर उन्होंने महीनों से संघर्ष किया, उस पर अब भी एंबुलेंस नहीं आ सकती.ऐसे में लीला ने सांसद से हेलीकॉप्टर की मांग कर दी – एक प्रतीकात्मक लेकिन बेहद गंभीर सवाल के साथ.
जब दर्द ने लिया आंदोलन का रूप।
लीला साहू का संघर्ष तब शुरू हुआ जब उनके गांव की दो महिलाओं – ममता और सीमा – सड़क न होने के कारण समय पर अस्पताल नहीं पहुंच सकीं और उनकी जान चली गई. ममता उनकी भाभी थीं, जिन्हें खटिया पर उठाकर ले जाया गया, लेकिन देर हो चुकी थी.

लीला ने तब एक वीडियो जारी कर नेताओं से पूछा – “हमने 29 सीटें दिलाईं, अब हमारी सड़क क्यों नहीं बन रही?”

उनका वीडियो वायरल हुआ और देशभर में चर्चा का विषय बना। लेकिन वादे और तस्वीरों के बावजूद गांव की हालत जस की तस रही.

विधायक ने निजी खर्च से शुरू कराया काम

21 जुलाई को विधायक अजय सिंह राहुल ने लीला से संपर्क कर सड़क बनवाने की जिम्मेदारी निजी खर्च पर उठाई.जेसीबी मशीनें गांव में पहुंचीं और रास्ते को अस्थायी रूप से समतल किया गया.विधायक प्रतिनिधि ज्ञानेंद्र अग्निहोत्री ने कहा – “जब एक गर्भवती महिला सड़क की मांग के लिए गुहार लगाए, तो ये प्रशासन के लिए शर्म की बात है.”
हेलीकॉप्टर की मांग – एक प्रतीकात्मक तमाचा

लीला की हेलीकॉप्टर की मांग सिर्फ एक व्यक्तिगत आवश्यकता नहीं, बल्कि सिस्टम पर तीखा प्रहार है.एक ऐसे गांव में जहां सड़क नहीं, वहां गर्भवती महिला को अस्पताल ले जाने के लिए हेलीकॉप्टर ही विकल्प बचता है – ये सोचने पर मजबूर करता है.

अभी भी अधूरी है लड़ाई

लीला ने साफ कहा – “यह शुरुआत है, जीत नहीं.रास्ता पक्का बने, तब जाकर हम कहेंगे कि हमारी लड़ाई सफल हुई.”

अब गांव की महिलाएं खुलकर सामने आ रही हैं, प्रशासन की चुप्पी पर सवाल उठ रहे हैं और नेताओं के वादे फिर कसौटी पर है।

Show More

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!