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शास्त्रों में सनातन हैं शिव साधना : कैलाशचंद्र डोंगरे

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शास्त्रों में सनातन हैं शिव साधना : कैलाशचंद्र डोंगरे

कैलाश नगर में श्री शिवमहापुराण ज्ञान गंगा यज्ञ कथा का तीसरा दिन

खंडवा। वैदिक सनातन संस्कृति में प्रथम आराध्य गणेश , दुर्गा, सूर्य और परमात्मा विष्णु के अतिरिक्त पंच देवों में देवाधिदेव भगवान शिव शंकर सम्मिलित हैं। इन पांच देवताओं के पूजन-अर्चन का विधान पुरातन है। वेदों से लेकर आधुनिक संस्कृत साहित्य तक पंचदेवों पर शास्त्रों में उल्लेख है। सनातन को बांटने में कई पंथ अलग अलग हुए पर शिव की भक्ति की शक्ति ही है की सनातन को एक सूत्र में पिरोये हुए है। सभी पंथ का अंतिम मिलान भोले नाथ की शरण में है। यही कारण है कि सनातन धर्म सभी पंथों को भी जोड़ता है।
यह उदगार पंडित कैलाश चंद्र डोंगरे ने कैलाशनगर में शिवमहापुराण कथा के वाचन के तीसरे दिन व्यक्त किये। समाजसेवी सुनील जैन ने बताया कि शिव महापुराण की कथा का वाचन करते हुए श्री डोंगरे ने कहा ऋग्वेद मैं लिखा है समस्त देवता और मनुष्य इसी मार्ग से अवतरित हुए हैं तथा सृष्टि को दिशा दी है । हे मनुष्यों आप अपने उत्पन्न होने की आधाररूपा अपनी माता को विनष्ट न करें अर्थात सनातन को बिसरावोगे तो अपने धर्म विरुद्ध कहलावोगे।जब अशांत हो मन तो इष्ट का मनन करो पंडित श्री डोंगरे ने कहा जब आपका मन अशांत हो तो अपने इष्ट का मनन करो। जब कोई कार्यो न बने तो भैरव के पास पंहुच जावो। भरोसा रखो जब कोई भी राह ना मिले तो शयन के समय भोले और इष्ट का ध्यान करे और प्रभु से प्रार्थना करे की अशांत मन को राह दिखाए आप प्रभु श्री राम और हनुमान जी का शयन करने से पहले स्मरण करें। आपका अशांत मन शांत होगा और अगले दिन सारे काम बनेंगे। सुनील जैन ने बताया कि कथा के तीसरे दिन अमवास्या के अवसर पंडितजी ने पवित्र नदियों के स्नान के महत्व को भी बताया। साथ ही अमावस्या पर बड़ी संख्या में महिला शक्ति ने पार्थिव शिवलिंग का निर्माण भी किया।

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