सीवान: राम-जानकी मुख्य मार्ग जिले से होकर गुजरना है,और जिला भू-अर्जन द्वारा भुमि के अधिग्रहण के लिए नोटिस दिया जा चुका है। तथा ग्रामीण में कम मुआवजा मिलने से लोगों में भारी आक्रोश है।बता दे की उत्तर प्रदेश के अयोध्या से माता सीता की जन्मभूमि नेपाल के जनकपुर तक राम-जानकी मुख्य मार्ग बनना है। वहीं राम-जानकी मार्ग का करीब 237 किलोमीटर हिस्सा बिहार से होकर गुजरना है और इसकी शुरूआत सीवान जिला से होनी है बिहार में राम-जानकी पथ के पहले चरण का निर्माण सीवान-मशरक खंड और दूसरे चरण में राम-जानकी मुख्य मार्ग का निर्माण मेहरौना-गुठनी-सीवान खंड में होना है। इसको लेकर जिन लोगों का जमीन अधिग्रहण किया गया था, उनको मुआवजा मिलना भी शुरू हो गया है।जमीन अधिग्रहण के बाद मुआवजा वितरण का विरोध हुआ है । राम-जानकी पथ के मेहरौना-गुठनी-सीवान खंड में चार प्रखंड गुठनी, मैरवा, जीरादेई और सीवान सदर के 45 गांव के लोगों का जमीन अधिग्रहण होने जा रहा है। जिला भू-अर्जन विभाग द्वारा पैमाइश की प्रक्रिया संपन्न करने के बाद नोटिस जारी कर मुआवजा वितरण की प्रक्रिया शुरू कर दी है. वहीं प्रक्रिया शुरू होने के बाद विवादों का दौर भी जारी है। कई जगह पर विरोध प्रदर्शन का सामना भी प्रशासन को करना पड़ रहा है. जिले में मुआवजा वितरण के शुरुआत में ही विरोध होना प्रशासन के लिए चुनौती बन रहा1661.25 करोड़ NH निर्माण के लिए हुआ मंजूरउत्तर प्रदेश के मेहरौना घाट से बिहार में सीवान तक 41 किलोमीटर एनएच निर्माण के लिए 1661.25 करोड़ रुपये मंजूर किया गया है. हालांकि इसका पेंच फंसता जा रहा है, क्योंकि जगह-जगह जमीन का वाजिब मुआवजा नहीं मिलने को लेकर किसान बवाल खड़ा किए हुए हैं तो वहीं कई जगह किसान और अधिकारियों के बीच झड़प भी हुई।किसानों ने तो यहां तक अल्टीमेटम जिला प्रशासन को दिया है कि अगर मार्केट वैल्यू के अनुसार जमीन का रेट नहीं मिला तो सड़क पर उतरकर विरोध प्रदर्शन करेंगे
इस वजह से सीवान के किसान कर रहे हैं विरोध।
जिला के सीवान सदर प्रखंड के जमसिकरी गांव के किसानों ने आपसी सहमति से प्रदर्शन का पारूप तैयार किया है। तथा पटना उच्च न्यायालय में अर्जी दायरे करने को लेकर आपस में विमर्श किया गया है।किसान गौतम सिंह, विश्राम सिंह, धनंजय सिंह,शत्रुध्न सिंह, रत्नेश,गोविंद सिंह, श्रीराम सिंह,ब्रहमा सिंह, माधव सिंह,दिलीप सिंह, कृष्ण सिंहइत्यादि का आरोप है कि स्टेट हाइवे के किनारे का जमीन का कोर्ट फीस लेती है जबकि किसानों के जमीन को कृषि भीट में डालकर औने पौने दाम में लेना चाहतीं है। बता दे जमीन का कीमत 25 से 30 लाख रुपए प्रति कठ्ठा है, जो जिला भू-अर्जन पदाधिकारी द्वारा मिले नोटिस में रेट बहुत कम तय किया गया है. यह सरासर गलत है और सरकार किसानों की जमीन को औने-पौने दाम में हड़पना चाह रही है.सरकार हमारी जमीन को वर्तमान में जो निबंधन कार्यालय में रजिस्ट्री हो रही है।उसके हिसाब से जमीन का रेट तय कर मुवावजा दे। सरकार ने ऐसा नहीं किया तो किस सड़क पर उतरकर बड़ा आंदोलन कर सकते हैं।