सुमिता शर्मा चंद्रपुर महाराष्ट्र:
राष्ट्रीय अंधता एवं मंददृष्टि नियंत्रण कार्यक्रम के अंतर्गत जिला सामान्य अस्पताल, चंद्रपुर की ओर से नेत्र रोग विशेषज्ञ डाॅ. भाल चन्द्र स्मृति दिवस मनाया गया। इस अवसर पर जिला शल्य चिकित्सक डाॅ. डॉ. महादेव चिंचोले, अधीक्षक जिला शल्यचिकित्सक. भास्कर सोनारकर,
अतिरिक्त निवासी अधिकारी डाॅ. डॉ. बंडू रामटेके, अतिरिक्त जिला स्वास्थ्य अधिकारी। अविष्कार खंडारे, जिला नेत्र सर्जन डॉ. आडे, डॉ. प्रीति उराडे, डाॅ. सरोदे, डॉ. पटेल, डाॅ. मेश्राम एवं जिला कार्यक्रम समन्वयक डाॅ. पद्मजा बोरकर आदि उपस्थित थे।
इस समय डाॅ. चिंचोले ने कहा, नेत्र विशेषज्ञ डॉ. भालचंद्र ने सरकारी सेवा में रहते हुए अंधापन उन्मूलन कार्यक्रम में 80,000 से अधिक मोतियाबिंद की सर्जरी पूरी की और दृष्टिबाधित लोगों के जीवन को रोशन किया। उन्होंने नेत्रदान जैसे महान कार्य के महत्व को भी जन-जन तक पहुंचाया। उनके कार्य के सम्मान में 10 जून को दृष्टिदान दिवस के रूप में मनाया जाता है। उन्होंने यह भी अपील की मृत्यु के
बाद मनुष्य की आंखें छह घंटे तक जीवित रहती हैं और यदि मृत्यु के बाद आंखें दान की जाती हैं, तो इससे अन्य नेत्रहीन नागरिकों को लाभ होगा और वे इस दुनिया को देख सकेंगे, इसलिए नागरिकों को मृत्यु के बाद दृष्टि दान करने की पहल करनी चाहिए।
जिला सामान्य अस्पताल की ओर से 2023-24 के लिए 4570 मोतियाबिंद सर्जरी के लक्ष्य के विरुद्ध 5099 सर्जरी की गयी हैं । इसमें नेशनल ब्लाइंडनेस एंड एम्ब्लियोपिया कंट्रोल, डिस्ट्रिक्ट जनरल हॉस्पिटल, चंद्रपुर की टीम ने अच्छा प्रदर्शन किया है । नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. महादेव चिंचोले, जिला शल्यचिकित्सक. सरोदे और डॉ. पटेल का शॉल एवं श्रीफल से सम्मान किया गया। साथ ही नेत्र विभाग की पूरी टीम को बधाई दी।
कार्यक्रम का संचालन तुषार रायपुरे एवं आभार डाॅ. पद्मजा बोरकर का मानना था. नोडल अधिकारी श्री. मसराम, नेत्रदान परामर्शदाता योगेन्द्र इंदौरकर, नेत्र रोग अधिकारी माधुरी कुलसंगे, श्री. थुब्रिकर, श्री. मडावी, श्री. भाईसारे, श्री. मराशेट्टीवार, अतुल शेंद्रे, सूरज वनकर आदि उपस्थित थे ।
मरणोपरांत नेत्र दान: जब निशांत जगन्नाथ बोरकर (उम्र 21 वर्ष) का छोटी बीमारी के कारण निधन हो गया, तो उनके रिश्तेदारों ने दो अंधे लोगों को दृष्टि देने के नेक इरादे से उनकी आंखें दान कर दीं।