
द्वादश ज्योतिर्लिंग की कथा के साथ हुआ शिव महापुराण कथा का भव्य समापन।
12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन मन को पवित्र कर संपूर्ण श्रद्धा के साथ बाबा के दर्शन करें। ,,संत चिन्मयानंद बापू,,
खंडवा भवानी माता मंदिर में चल रही श्री शिव महापुराण के विश्राम दिवस में बापूजी ने द्वादश ज्योतिर्लिंगों की कथा का रसपान कराया और कहा कि जो भी मनुष्य अपने जीवन में इन द्वादश ज्योतिर्लिंग का दर्शन करता है साक्षात भगवान शिव के धाम में रहने का उसको फल प्राप्त होता है। 12 ज्योतिर्लिंग भगवान शिव का ही स्वरूप है और स्वयं भगवान शिव ने ही स्थापित किए हैं या स्वयं शिवलिंग के रूप में प्रकट हुए हैं। इसलिए द्वादश ज्योतिर्लिंग की महिमा का गान करते हुए बापूजी ने अंतिम सत्र में काशी क्षेत्र की महिमा का वर्णन किया और कहा कि जिस व्यक्ति का देहांत काशी क्षेत्र में हो जाए वह साक्षात भगवान शिव के धाम को जाता है चाहे वह कितना भी पापी हो लेकिन यदि वह काशी में उसकी मृत्यु होती है तो वह शिव के धाम में ही वास करता है। बापू ने कहा कि आजकल हम तीर्थों में जाकर जो मोबाइल के माध्यम से रील आदि बनाने के लिए दर्शन के लिए जाते हैं खासकर केदारनाथ और अमरनाथ की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि यह कार्य हमको नहीं करना चाहिए क्योंकि हर ज्योतिर्लिंग के स्थान पर स्वयं साक्षात भोलेनाथ विराजमान है वहां तो हम संपूर्ण श्रद्धा के साथ जाएं और बाबा का दर्शन करें और अपने मन को पवित्र करें और बाबा से मोक्ष की कामना करें ना कि मोबाइल फोन का इस्तेमाल कर सोशल मीडिया के माध्यम से रील बनाने के लिए पहुंचे। समाजसेवी व प्रवक्ता सुनील जैन ने बताया कि विश्व कल्याण मिशन ट्रस्ट के तत्वाधान में दादाजी धाम के समीप मां भवानी माता मंदिर प्रांगण में श्रावण के इस मास में विश्व कल्याण मिशन ट्रस्ट अंतर्राष्ट्रीय संत कथा वाचक चिन्मयानंद बापू जी की श्री शिव महापुराण कथा का भव्य आयोजन आज संपन्न हुआ। 1 अगस्त से 7 अगस्त तक और 31 जुलाई को निकली मंगल कलश यात्रा में भी बड़ी संख्या में मातृशक्ति के साथ श्रद्धालुओं ने उपस्थित होकर कथा का श्रवण कर पुण्य प्राप्त किया। कथा में युवाओं को भी संबोधित करते हुए संत बापू जी ने व्यासपीठ से युवा वर्ग को भी समझाया और कहां की हमारा देश धर्म और संस्कृति पर आधारित देश है अच्छी शिक्षा के साथ धर्म और संस्कृति के संस्कारों को भी हम समझे। अंत में कथा की महिमा का वर्णन करते हुए सप्त दिवसीय श्री शिव महापुराण को बापू ने विराम किया और बापूजी ने व्यासपीठ के माध्यम से कथा में बने सहयोगियों मीडिया प्रशासन नगर निगम और खंडवा की संपूर्ण जनमानस का धन्यवाद दिया।