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ग्राम पंचायत कुम्भाखेड़ी में प्राचीन भेरू बाबा मंदिर एवं मुक्तिधाम के आसपास सौंदर्यकरण एवं वृक्षारोपण के लिए भूमिका निरीक्षण पंच, सरपंच एवं ग्रामीणों द्वारा किया गया

आयदन लोधा की रिपोर्ट….

झाबुआ जिला तहसील -पेटलावद कुम्भाखेड़ी ग्राम पंचायत द्वारा अनोखी पहल की जारी है गांव के आसपास प्राचीन मंदिर भेरू बाबा मंदिर,एवं मुक्तिधाम पर वृक्षारोपण के लिए निरीक्षण किया जा रहा है आगामी दिनों में वर्षा ऋतु के पहले पौधा एवं वृक्षारोपण कार्य किया जाएगा, जिसमें पंचायत द्वारा विभिन्न स्थानों पर पौधों एवं बैठक व्यवस्था की जाएगी , पंचायत द्वारा बताया जा रहा है कि वृक्षारोपण हमारे जीवन के लिए बहुत महत्वपूर्ण महान कार्य होता है । जिसमें सभी ग्राम पंचायत पंच, सरपंच ,उप सरपंच द्वारा अपील की जा रही है कि प्रत्येक घरों में एवं अपने खेत की मेड बगीचों में प्रति व्यक्ति एक पौधा तो अवश्य लगावे,जिससे आने वाला वातावरण पर्यावरण का संतुलन बना रहे एवं हमारे आने वाली नई पीढ़ी को भी एक उत्साह उमंग के साथ वृक्षारोपण करने का मौका मिल सके,इसके लिए किसी की यादगार एवं जन्मोत्सव पुण्यतिथि पर एक वृक्ष अवश्य लगाएं पुण्य आत्माओं की आत्मा की शांति के लिए सबसे महान दान वृक्षारोपण माना जा रहा है इस मौके पर सरपंच सिता पति राम सिंह निनामा उप सरपंच माया आयदन लोधा, पैसा एक्ट राकेश भाभर, जितेन्द्र,रतन डामर, बहादुर पारगी, रामचंद्र बारिया,अमरत डामर, आदि ग्रामीण जन उपस्थित थेभुमि का निरीक्षण किया गया

रामसिंह निनामा  सरपंच प्रतिनिधि द्वारा बताया कि वृक्षारोपण के महत्व – वृक्षारोपण यानी वृक्ष लगाना। प्रकृति में संतुलन बनाए रखने के लिए तथा अपने आस-पास के वातावरण को स्वच्छ बनाए रखने के लिए पेड़-पौधे लगाना बहुत ज़रूरी है। पेड़-पौधों के माध्यम से प्रकृति सभी प्राणियों पर अनंत उपकार करती है। पेड़-पौधे हमें छाया प्रदान करते हैं।

: आयदन लोधा प्रकृति में संतुलन बनाए रखने के लिए तथा अपने आस-पास के वातावरण को स्वच्छ बनाए रखने के लिए पेड़-पौधे लगाना बहुत ज़रूरी है। पेड़-पौधों के माध्यम से प्रकृति सभी प्राणियों पर अनंत उपकार करती है। पेड़-पौधे हमें छाया प्रदान करते हैं। फल- -फूलों की प्राप्ति भी हमें पेड़-पौधों से ही होती है। पेड़-पौधों से हमें ऑक्सीजन की प्राप्ति होती है, जो हमें जीवित रखने के लिए बहुत आवश्यक है।

कई पेड़-पौधों की छाल औषधि बनाने के भी काम आती है। इनकी लकड़ियों से फर्नीचर बनाए जाते हैं। पेड़ों से हमें कागज़ की भी प्राप्ति होती है। पेड़-पौधों की सूखी पत्तियों से खाद भी बनती है। पेड़-पौधे हमारे पर्यावरण को भी सुरक्षित रखते हैं, अतः हमें पेड़-पौधे नहीं काटने चाहिए।

रतन डामर द्वारा बताया गया कि जब हम अपने लालच के लिए पेड़-पौधे काटकर अपने पर्यावरण को बहुत नुकसान पहुँचा रहे हैं। इससे पक्षियों के घर उजड़ रहे हैं। तथा वातावरण भी दूषित हो रहा है। वृक्ष काटने से ही बाढ़, भूमि-स्खलन आदि होते हैं।

 

इसीलिए वृक्षारोपण करना आवश्यक है इसके कही सारे लाभ हमारे जिवन में होते हैं।

: चरणसिंह लववंशी सामाजिक कार्यकर्ता मार्ग वृक्षपालन के अंतर्गत सड़कों के किनारे वृक्ष लगाना और फिर उनका अनुरक्षण करना आता है। वृक्ष विज्ञान से इसका सीधा संबंध है। मार्ग वृक्षपालन के लिए वृक्षों की वृद्धि और उनकी क्रिया-प्रणाली संबंधी ज्ञान तो अनिवार्यत: आवश्यक है ही, साथ ही साथ सजावट के उद्देश्य से, दृढ़ता के आधार पर, प्रतिरोधात्मक गुणों की दृष्टि से पौधों के चुनाव और समूहन संबंधी कौशल भी अपेक्षित हैं। इसलिए मार्ग वृक्षपालन का दायित्व निभाने के लिए पादप-क्रिया-प्रणाली, मृदा-विज्ञान, विकृति आदि का कामचलाऊ ज्ञान होना चाहिए।

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