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शरीर की शुद्धि और रोगों की मुक्ति के लिए करे षट्कर्म

रिपोर्ट आवेश में

आयुष विभाग गोंडा के तत्वावधान में गांधी पार्क में संचालित नियमित योग कक्षा में बाल योगियों ने षट्कर्म क्रिया का अभ्यास किया I
योगाचार्य सुधांशु द्विवेदी ने बताया जिस प्रकार शरीर को स्वस्थ्य रखने के लिए योग करना बहुत ही जरूरी हैI लेकिन षट्कर्म का अपना एक अलग महत्व है। आमतौर पर इन क्रियाओं को योगी लोग करते हैं। लेकिन इसे आम व्यक्ति भी आसानी से कर सकता हैं। षट्कर्म करने से शरीर अंदर से साफ और शुद्ध हो जाता हैI यानि शरीर के विषाक्त तत्व बाहर निकल जाते हैं। इसमें शरीर को 6 तरीके से डिटॉक्स किया जाता है।योग प्रशिक्षक आशीष गुप्ता के द्वारा उपस्थित समस्त बाल योगियों को षट्कर्म क्रिया का अभ्यास करवाया गयाIषट्कर्म 6 क्रियाओं का समूह हैI नेति, धौति, नौलि, बस्ति, कपालभाति, त्राटक,षट्कर्म शरीर की यौगिक शुद्धि का एक समूह है। यह योग साधना का एक हिस्सा है। जिसका उद्देश्य शरीर में जमा अशुद्धियों/विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालना है और यह रोगों को दूर करता है और शरीर को आसन और प्राणायाम के लिए तैयार करता है।योगाचार्य सुधांशु द्विवेदी ने बताया योग शिविर में सभी बच्चों को षट्कर्म के दो क्रियाओं जलनेति व रबरनेति का अभ्यास कराया गया। योग प्रशिक्षक आशीष गुप्ता ने बतायाइस क्रिया को करने से माइग्रेन,अस्थमा, कफ, नजला, सायनोसाइटिस, साइनस, जुखाम, सिरदर्द, अनिद्रा,एलर्जी, आंखों से संबंधित विकार, चेहरे के पक्षाघात, व मस्तिष्क में जाने वाले रक्त की शुद्धि आदि लाभ प्राप्त होते है। इस शोधन क्रिया के बाद नासिका मार्ग पुरी तरह से शुद्ध हो जाता हैI तथा प्राणवायु पूरी मात्रा में शरीर में पहुचने लगती है।

शिविर में अक्षिति सिंह, सिया,पार्थ, पंछी,अपर्णा,बिट्टू,ऋषित,शांभवी, आरुष,रुद्रा,अवंतिका,प्रज्जवल, साक्षी,देवांश,काव्या,ओजस्वी,अथर्व आदि मौजूद रहे।

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