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कलेक्ट्रेट परिसर में सजेगी गोंडी कला की झलक पाटनगढ़ के कलाकारों को मिला रोजगार का अवसर डिंडोरी 31 अक्टूबर 2025

कलेक्ट्रेट परिसर में सजेगी गोंडी कला की झलक पाटनगढ़ के कलाकारों को मिला रोजगार का अवसर डिंडोरी 31 अक्टूबर 2025

कलेक्ट्रेट परिसर में सजेगी गोंडी कला की झलक, पाटनगढ़ के कलाकारों को मिला रोजगार का अवसर
डिंडौरी : 31अक्टूबर, 2025
जिले की समृद्ध आदिवासी कला और संस्कृति को नई पहचान देने के उद्देश्य से जिला प्रशासन ने एक अभिनव पहल की है। कलेक्टर श्रीमती अंजू पवन भदौरिया के मार्गदर्शन में कलेक्ट्रेट परिसर की दीवारों को गोंडी पेंटिंग से सजाने का निर्णय लिया गया है। इस पहल के माध्यम से पाटनगढ़ क्षेत्र के गोंडी पेंटिंग कलाकारों को पहली बार प्रशासनिक स्तर पर रोजगार का अवसर प्राप्त हुआ है।

गोंडी पेंटिंग न केवल डिंडोरी जिले की सांस्कृतिक पहचान है, बल्कि यह यहाँ के जनजातीय जीवन, परंपरा और प्रकृति से गहरे रूप में जुड़ी हुई है। पाटनगढ़ क्षेत्र लंबे समय से अपनी पारंपरिक गोंडी कला के लिए प्रसिद्ध रहा है, जहाँ स्थानीय कलाकारों ने पीढ़ियों से इस कला के माध्यम से आदिवासी समाज की संस्कृति, जीवनशैली और आस्था को जीवित रखा है।

अब प्रशासन द्वारा इन कलाकारों को कलेक्ट्रेट की दीवारों पर अपनी कला उकेरने का अवसर दिए जाने से गोंडी पेंटिंग को नया मंच और पहचान मिल रही है। इससे न केवल परिसर की सौंदर्यवृद्धि होगी, बल्कि स्थानीय कलाकारों की आर्थिक स्थिति में भी सुधार आएगा।

कलेक्टर श्रीमती भदौरिया ने कहा कि “यह पहल स्थानीय कला और कलाकारों को प्रोत्साहन देने की दिशा में एक छोटा लेकिन सार्थक कदम है। हमारी कोशिश है कि गोंडी पेंटिंग को व्यापक पहचान मिले और यह जिले की गौरवपूर्ण पहचान बने।”

पाटनगढ़ के गोंडी कलाकारों ने प्रशासन की इस पहल का स्वागत करते हुए कहा कि यह उनके लिए नई शुरुआत और आत्मनिर्भरता का मार्ग है। कलाकारों ने बताया कि कलेक्ट्रेट जैसी महत्वपूर्ण जगह पर अपनी कला को प्रदर्शित करना उनके लिए गौरव की बात है।

इस पहल से उम्मीद की जा रही है कि आने वाले समय में डिंडोरी जिले के अन्य सरकारी संस्थानों, स्कूलों और सार्वजनिक स्थलों पर भी स्थानीय कला के प्रचार-प्रसार को बढ़ावा दिया जाएगा, जिससे आदिवासी कला और संस्कृति को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिल सके।

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