
मातृभाषा से विमुख होते युवा हमारी चिंता और चिंतन का विषय होना चाहिए, .,,डा कुलदीपसिंह फरे,,

खंडवा। पीएम श्री नीलकंठेश्वर महाविद्यालय में आयोजित विमर्श एवं काव्य पाठ कार्यक्रम के स्थानीय समन्वयक गोविंद शर्मा ने जानकारी देते हुए बताया कि निराला सृजन पीठ भोपाल के आयोजन विमर्श एवं काव्य पाठ में पहले सत्र विमर्श में बीज वक्तव्य डॉ कुलदीपसिंह फरे ने दिया।
भाषा, बोली और उपबोलियों के अंतर्संबंधों और युवाओं के उनसे जुड़ाव को विस्तार देते हुए बोलियों की ध्वन्यातमकता और उच्चारण की सरलता की व्याख्या भी की। डॉ फरे ने युवाओं को सलाह देते हुए कहा कि अपनी भाषा में व्यक्ति बेहतर तरीके से अभिव्यक्ति देता है यह ध्यान रहे।
समाजसेवी सुनील जैन ने बताया कि कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों द्वारा सरस्वती पूजन से हुआ।महाविद्यालय की छात्राओं पूजा सोनवाने एवं सलोनी काजले ने माँ सरस्वती की आराधना की। अतिथियों का स्वागत ऑक्सीजन पौधों के नन्हे गमलों के द्वारा किया गया। निराला सृजन पीठ भोपाल की निदेशक डॉ साधना बलवटे ने स्वागत उदबोधन देते हुए युवाओं को मातृभाषा विमर्श में सहभागिता के लिए आगे आने का आव्हान किया। डॉ साधना बलवटे ने निमाड़ जनपद की समृद्ध भाषा परम्परा और साहित्य मनीषियों को याद करते हुए श्रोताओं को आश्वस्त किया कि निराला सृजन पीठ ऐसे और आयोजन करता रहेगा। मुख्य अतिथि ललित निबंधकार गोविंद गुंजन ने भाषा की बारीकियों और बोलियों की विविधता से परिचित करवाया।उन्होंने कहा युवा शक्ति और ऊर्जा का प्रतीक है,युवा हाथों में ही भाषाओं को जीवित रखने का माद्दा है।
द्वितीय सत्र में आमंत्रित रचनाकारों एवं विद्यार्थियों का काव्य पाठ आयोजित किया गया। महाविद्यालय की प्रीति सेन,जागृति, विजया लक्ष्मी,सुभाष निगवाल,नीलेश बोर्ड ने काव्य पाठ किया।आमंत्रित रचनाकारों सुधीर देशपांडे,राजश्री शर्मा, प्रवीण अत्रे,वीरेंद्र चौरे,संतोष तिवारी और रघुवीर शर्मा ने काव्य पाठ किया। संचालन गोविंद शर्मा ने किया। अंत में आभार निराला सृजन पीठ की डा साधना बलवटे द्वारा दिया गया। विमर्श एवं काव्य पाठ में शरद जैन,श्याम सुंदर तिवारी,मनोज जोशी, प्रीति तिवारी, हर्षा शर्मा, सुनील जैन, अनिल बाहेती,प्रवीण शर्मा,आनंद जैन,राजेंद्र बलवटे एवं शहर के साहित्यकार एवं महाविद्यालय के विद्यार्थी उपस्थित रहे।










