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मण्डला से बीजाडांडी मार्ग के सभी पुल उम्र दराज समय रहते नए पुल बनाये जाए

मंडला जिले की खास रिपोर्ट

मण्डला से बीजाडांडी मार्ग के सभी पुल उम्र दराज
समय रहते नए पुल बनाये जाए

रिपोर्टर इन्द्रमेन मार्को मंडला मध्यप्रदेश

मंडला। मंडला से जबलपुर नेशनल हाईवे 30 पर सफर करना अपनी जान जोखिम में डालने जैसा हो गया है। रोजाना हाईवे में कहीं ना कहीं हादसे हो रहे है, वजह गुणवत्ताविहीन मार्ग निर्माण के साथ हाईवे स्थित सभी पुलों की जर्जर हालत है। मार्ग तो हादसे को आमंत्रण दे ही रहे है, इसके साथ ही मंडला से जबलपुर के बीच बने पुल भी खतरनाक हो गए है। पुल भी जर्जर अवस्था में है, यहां पुलों की रैलिग भी कमजोर हो चुकी है, पुल में भी गड्ढे हो गए है जो हादसे को न्यौता दे रहे है। बालई पुल में भी दुर्घटना होने के बाद भी सुधार कार्य नही कराया गया है जिससे कभी भी अप्रिय घटना घट सकती है।

हाईवे में रोड के साथ पुल शामिल नही

मंडला से जबलपुर के बीच नेशनल हाइवे निर्माण की स्वीकृति के दौरान एमपीआरडी ने जो इस्टीमेट बनाया था, उनमे पुराने पुलो को शामिल नही किया था। मंडला से जबलपुर के बीच पांच पुल नहीं बनाए है। जिसके कारण यह पुल जर्जर हो गए है और इसमें विभाग सिर्फ मरम्मत के नाम पर लीपापोती कर रहा है।

बनाये जाए सभी पुल नए

मंडला से जबलपुर के बीच फूलसागर, बबैहा, लालीपुर, बालई और हिंगना पुलो को नही बनाया गया है। इन पुलो में केवल मरम्मत की जा रही है। पुल जर्जर हालात में है। पुलों की दीवार खराब हो गई है। पुल दोनों किनारे के पास सफाई के अभाव में मिट्टी जमी हुई है। पुलों में कई जगह छड़े बाहर आ गई है। समय रहते पुल नए पुल बन जाएंगे तो भविष्य में होने वाली दुर्घटनाओं से बचा जा सकेगा।

किया गया डामरीकरण भी उखड़ गया

केन्द्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय के एक्सपर्ट ने इस सड़क पर पैनल क्रेक सुधारने की बजाय पूरे मार्ग को अपग्रेड कर डामरीकरण करने की सलाह दी थी । इस सलाह के बाद अब बरेला के आगे डोबी गाँव से मण्डला की सीमा तक पूरे 63 किलोमीटर के दायरे में मार्ग का डामरीकरण किया गया। सीमेण्टेड दरार, वर्क वाले सरफेस में डामरीकरण होने से इसकी राइडिंग क्वॉलिटी सुधारी गई। एमपीआरडीसी के अनुसार इस्को कांबोग्लास ग्रिड मैथड से सुधारा गया। इस बार की बारिश ने सारे किये कराए पर पानी फेर दिया। सड़क में जगह जगह डामरीकरण उखड़ गया है जिससे सड़क में जगह जगह गड्ढे हो गए है। एक बार फिर दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ गया है। सड़क को शीघ्र सुधारे जाने की मांग की जा रही है।

बिना डिवाइडर, बिना संकेतक! हाइवे बना ‘मौत का सफर’

जिले से गुजर रहे प्रमुख हाइवे पर प्रशासन की घोर लापरवाही अब जानलेवा साबित हो रही है। हाइवे पर न तो डिवाइडर बनाए गए हैं, न ही सड़क पर कोई क्रॉसिंग चिन्ह, न कोई ट्रैफिक संकेतक चिन्ह, जिससे वाहन चालक पूरे हाइवे पर बेलगाम अंदाज में वाहन दौड़ा रहे हैं।हाइवे के दोनों ओर से चलने वाले वाहन आमने-सामने आते हैं, जिससे आमजन के लिए सड़क पार करना किसी जंग जीतने से कम नहीं रह गया है। कई बार वाहन चालकों को यह भी नहीं पता चलता कि वे किस दिशा में हैं, क्योंकि संकेतक नदारद हैं। स्थानीय नागरिकों और जनप्रतिनिधियों ने मांग की है कि हाइवे पर अविलंब डिवाइडर, ज़ेब्रा क्रॉसिंग और ट्रैफिक संकेतक लगाए जाएं ताकि दुर्घटनाओं पर रोक लग सके।

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