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दो तीन वर्षों के बाद भी आमजन की उम्मीद पर फेरता जल जीवन मिशन ग्राम अजवार में पानी के लिए त्राहिमान जिम्मेदारों की चुप्पी जारी

दो तीन वर्षों के बाद भी आमजन की उम्मीद पर फेरता जल जीवन मिशन ग्राम अजवार में पानी के लिए त्राहिमान जिम्मेदारों की चुप्पी जारी

“दो-तीन वर्षों के बाद भी आमजन की उम्मीद पर पानी फेरता जल जीवन मिशन”
ग्राम अझवार में पानी के लिए त्राहिमाम, जिम्मेदारों की चुप्पी जारी

डिण्डौरी। जल जीवन मिशन जैसी महत्वाकांक्षी योजना, जिसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में प्रत्येक घर तक स्वच्छ पेयजल की आपूर्ति सुनिश्चित करना है, वह जिले के कई गांवों की तरह ग्राम पंचायत अझवार में भी आमजन की उम्मीदों पर खरा उतरने में नाकाम साबित हो रही है। गर्मियों के दस्तक देते ही यहाँ पानी का संकट चरम पर पहुँच गया है, और स्थानीय निवासियों में भारी आक्रोश देखा जा रहा है।

ग्राम अझवार में जल जीवन मिशन के अंतर्गत कार्य प्रारंभ हुए लगभग दो वर्ष बीत चुके हैं। 7 फरवरी 2023 को इस कार्य का विधिवत शुभारंभ ग्राम पंचायत के सरपंच, विभागीय अधिकारियों और ग्रामीण जनों की उपस्थिति में विकास यात्रा के दौरान किया गया था। लेकिन आज तक न तो कार्य पूरा हो पाया है और न ही पानी की समस्या का समाधान हो सका है।

गांव में केवल 60 प्रतिशत घरों तक ही पाइपलाइन और नल कनेक्शन का विस्तार किया जा सका है। वह भी इस स्थिति में है कि कई जगह पाइपों से पानी लीक हो रहा है। टेस्टिंग के नाम पर कुछ घरों में कभी-कभार पानी दिया जा रहा है, लेकिन नियमित जलापूर्ति का कोई अता-पता नहीं है। सप्ताह में एक-दो बार ही पानी नसीब हो पाता है। कुछ ही घरों में नल स्टैंड लगाए गए हैं, पक्के वाल चेंबरों का निर्माण अभी तक अधूरा है।

टंकी निर्माण में भी घोर लापरवाही सामने आई है, जिससे टंकी से पानी रिसने की भी शिकायतें मिली हैं। पुलियों में पाइप बिना क्लैंप के केवल रस्सी के सहारे लटकाए गए हैं, जो सुरक्षा और टिकाऊपन दोनों के लिए खतरा बने हुए हैं।

गांव के हैंडपंप और कुओं का जल स्तर भी तेजी से गिरता जा रहा है। नदियों और नालों में पानी लगभग सूख चुका है। पिछले साल तक पानी के टैंकरों से आपूर्ति की जाती थी, लेकिन इस साल जल जीवन मिशन की अधूरी व्यवस्था के चलते वह भी ठप पड़ गई है।

निर्माण एजेंसी की लापरवाही का आलम यह है कि कार्य स्थल पर लागत और निर्माण संबंधी कोई साइनबोर्ड तक नहीं लगाया गया है, जिससे कार्य की पारदर्शिता और निगरानी दोनों प्रभावित हो रही है।

ग्रामवासियों का कहना है कि यदि शीघ्र समाधान नहीं किया गया, तो वे आंदोलन करने को मजबूर होंगे और इसकी पूरी जिम्मेदारी संबंधित विभाग और ठेकेदार की होगी

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