
कटनी से सौरभ श्रीवास्तव की रिपोर्ट
कटनी – राज्य सरकार अवैध उत्खनन करने वालों पर कार्रवाई करने का ढिंढोरा बखूबी समय-समय पर पीटती रहती है। लेकिन नतीजा सिफर दिखाई दे रहा है। प्रदेश में कई जगह अवैध उत्खनन बदस्तूर जारी है। इसके बावजूद खनन माफियाओं पर खनिज विभाग के अफसर मेहरबान भी नजर आ रहे हैं। कटनी में खनिज विभाग में पदस्थ जिम्मेदार अफसर तकरीबन डेढ दशक बीत जाने के बाद भी खनन ठेकेदार से रायल्टी क्लियरेंस की 7 करोड़ 31 लाख रुपए की राशि नहीं वसूल सके हैं।
मामलें में कलेक्टर कटनी ने 2009 में उक्त राशि वसूल किए जाने के निर्देश अधिकारियों को दिए थे। लेकिन विभाग के अफसर अब तक राशि वसूलने में नाकामयाब रहे। हालांकि, मामला स्पेशल कोर्ट से लेकर हाईकोर्ट तक पहुंचा। खनन ठेकेदार की रिवीजन पिटीशन भी खारिज हुए तकरीबन 6 माह का समय बीत चुका है। सूत्रों के अनुसार विभाग के अफसरों ने अब तक कोई कार्यवाही नहीं की। कटनी के खनन ठेकेदार मेसर्स केशव प्रसाद अवस्थी के खिलाफ गोपनीय शिकायत मिलने के बाद ईओडब्ल्यू की जबलपुर इकाई के पत्र के आधार पर ठेकेदार ने ऐसे किया घालमेल कलेक्टर द्वारा जारी आदेश में मेसर्स केपीअवस्थी द्वारा कुल खनिज
2,99,302.014 घनमीटर में से 23,528.891 घन मीटर की रायल्टी जो जमा है को कम करते हुए शेष प्रदाय किया गया खनिज 2,74,773.123 घन मीटर के स्वामित्व की दस गुना राशि खनिज मद में जमा करने का आदेश दिया था। इसके अलावा सात करोड़ 31 लाख रुपए की वसूल करने के आदेश दिए गए थे। लेकिन खनिज विभाग के जिम्मेदार अफसरों एवं ठेकेदार के गठजोड के चलते रायल्टी क्लियरेंस की राशि जमा करवाने में हिला-हवाली कर रहे है। जब कि पूर्व में उक्त मामलें में ठेकेदार ने कटनी स्पेशल कोर्ट की शरण ली थी। कलेक्टर खनिज शाखा ने स्वीकृत गिट्टी खदानों एवं खुदरा बाजार में विक्रय किए गए खनिज से जमा रायल्टी के क्लियरेंस सर्टीफिकेट की जांच की। जांच के बाद कलेक्टर कटनी ने आदेश जारी किया उसमें उल्लेखित किया गया है कि ठेकेदार मेसर्स केपी अवस्थी द्वारा रेल्वे विभाग को प्रस्तुत रायल्टी क्लियरेंस सर्टीफिकेट का परीक्षण, अभिलेखों के परीक्षण किए जाने के बाद पाया गया कि प्रस्तुत 2 रायल्टी क्लियरेंस सर्टीफिकेट पत्र क्रमांक 119 तथा पत्र क्रमांक 2587 सही पाए गए है। शेष 07 रायल्टी क्लियरेंस सर्टीफिकेट कार्यालय द्वारा जारी नहीं किए गए हैं। हालांकि जिला कार्यालय के पत्र के जबाव में ठेकेदार ने उक्त रायल्टी क्लियरेंस फर्जी नहीं है ऐसा बताया था। कलेक्टर के आदेश में यह भी
उल्लेखित किया कि अनावेदक मेसर्स केपी अवस्थी द्वारा रेल्वे विभाग को सप्लाई किये गये खनिज की मात्रा के संबंध में समाधान कारक स्पष्टीकरण प्रस्तुत नहीं किया गया। रेल्वे में सप्लाई किया गया खनिज किन स्त्रोतों से प्राप्त किया गया है एवं वह खनिज रायल्टी भुगतान शुदा है तथा उसके द्वारा फर्जी रायल्टी क्लियरेंस सर्टीफिकेट के आधार पर रायल्टी क्यों प्राप्त की गई है। उपरोक्त परिस्थितियों के आधार पर यह स्पष्ट है कि अनावेदक का कृत्य मप्र गौण खनिज नियमावली विरुद्ध है।।।।।