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साहित्य से जुड़ी डॉक्टर मनोरमा उपाध्याय को गीता जयंती पर गीता महिला रत्न से किया गया सम्मानित,

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साहित्य से जुड़ी डॉक्टर मनोरमा उपाध्याय को गीता जयंती पर गीता महिला रत्न से किया गया सम्मानित,

खंडवा।। अंतर्राष्ट्रीय गीता जयंती के अवसर पर राष्ट्रीय सुरभि साहित्य अकादमी के तत्वाधान में रामेश्वर रोड़ स्थित उपमन्यु हॉल में सम्मान समारोह का आयोजन किया गया, कार्यक्रम में मुख्य अतिथि द्वय सुनील जैन एवं देवेन्द्र जैन रहे,अध्यक्षता सुरभि साहित्य के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ0जगदीश चन्द्र चौरे ने की।कार्यक्रम का प्रारम्भ अतिथियो द्वारा गीताजी को नमन कर पुष्प अर्पित कर हुआ, माँ शारदा की वंदना कविता जाटव ने की।सुनील चौरे उपमन्यु ने सम्मानित होने वाली डॉ. श्रीमती मनोरमा उपाध्याय का परिचय देते हुए कहा कि आप संस्कृत की ज्ञाता तो है ही साथ ही
बिलासा छंद महालय से छंदों की बारीकी सीख कर उस पर छंदात्मक काव्य सृजन कर रही है । आप सरस् सरल व्यक्तित्व की धनी है।पश्चात अतिथियो द्वारा डॉ श्रीमती मनोरमा उपाध्याय”दिव्या” का पुष्पमाला,शाल एवं प्रशस्ति पत्र देकर”गीता महिला रत्न”से सम्मानित किया गया,इस सम्मान के प्रत्युत्तर में मनोरमा जी ने छंदात्मकता के बारे में बताया एवं कुंडलियां सुनाई तथा सम्मान हेतु आभार व्यक्त किया, समान कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि समाजसेवी सुनील जैन ने कहा कि तीन दादाओं की नगरी में ऐसी विद्वत हस्तियों का सम्मान कर हम गौरान्वित होते है, हमारे जिले में प्रतिभाओं की कमी नहीं है हर क्षेत्र में प्रतिभाएं खंडवा का नाम रोशन कर रही हैं मनोरमाजी ने भी शिक्षक रहते हुए जहां विद्यार्थियों को संस्कारों और विद्या से शिक्षित किया वहीं उन्होंने खुद ने भी साहित्य का अध्ययन कर एक नई ऊंचाइयां प्राप्त की है, देवेन्द्र जैन ने कहा कि आप पी एच डी होकर डाक्टरेट की उपाधि ली है।आप छंदो की गहराई तक पहुंच कर छन्दयुक्त कविता लिख रही है ।जो सम्मान की बात है,अध्यक्षता कर रहे डॉ जगदीश चन्द्र चौरे ने कहा कि गीता जयंती पर एकसाहित्यकार का अभिनन्दन कर डॉ.मनोरमा उपाध्याय को”गीता महिला रत्न”से सम्मानित कर हम गौरव महसूस कर रहे है, महेश मूलचंदानी ने इस अवसर पर सांई भजन सुना कर वातावरण भक्ति का कर दिया,योगिता पंवार भजन गायिका ने भी सम्मानित मनीषी को बधाई दी ।तारकेश्वर चौरे ने कहा कि सुरभि साहित्य अकादमी का यह सम्मान कार्यक्रम स्मरणीय रहेगा, सम्मान कार्यक्रम का संचालन तारकेश्वर चौरे ने किया,आभार सुनील उपमन्यु ने माना।

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