आरक्षण बढ़ोतरी पर हाईकोर्ट के फैसले का विरोध,नीतीश जिम्मेदार
कानून बनाने की मांग
पटना, 20 जून।
लोकतांत्रिक जन पहल ने गत वर्ष नवंबर में तत्कालीन महागठबंधन की सरकार के द्वारा आरक्षण के कोटे में जो 15 प्रतिशत बढ़ौतरी की गई थी उसे रद्द करने के हाईकोर्ट के फैसले से अपना विरोध जाहिर करते हुए इसके लिए पूरी तरह से मौजूदा भाजपा गठबंधन की नीतीश सरकार को जिम्मेदार ठहराया है।
लोकतांत्रिक जन पहल ने कहा कि नीतीश कुमार का पलटीमार रवैया जगजाहिर है। वे अब सामाजिक न्याय की राजनीति से दूर चले गए हैं और केवल मुख्यमंत्री पद से चिपके रहने की राजनीति करते हैं। इसलिए जब वे महागठबंधन में थे ,तो आरक्षण के कोटे को बढ़ाया गया। लेकिन इसी बीच जब वे फिर भाजपा की गोद में जा बैठे, तो उन्होंने भाजपा के इशारे पर हाईकोर्ट में इस मुकदमें की पैरवी में कोताही बरती जिसका खामियाजा आज तमाम दलितों, अतिपिछड़ों, पिछड़ों और आदिवासियों को भुगतना पड़ा है।
लोकतांत्रिक जन पहल ने बिहार विधानसभा में कानून बनाकर दलितों, अतिपिछड़ों, पिछड़ों और आदिवासियों के लिए आरक्षण का कोटा बढ़ाने की मांग की है। लोकतांत्रिक जन पहल का मानना है कि केवल कार्यपालिका आदेश से इसको लागू करना संभव नहीं है।
उल्लेखनीय है कि बिहार में 2023 में महागठबंधन की सरकार के समय जातिगत सर्वेक्षण कराया गया था और उसके आधार पर आरक्षण की सीमा बढ़ाने की मांग की गयी थी । गत वर्ष 9 नवंबर 2023 को तत्कालीन महागठबंधन की सरकार ने पिछड़ों वर्गों के लिए आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत से बढाकर 65 प्रतिशत कर दिया था।