
पत्रकारिता एक संवैधानिक अधिकार- एडवोकेट शिवानी जैन
विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक, 2023 में भारत 180 देशों में से 161वें स्थान पर है , जो पत्रकारिता, सेंसरशिप, मीडिया की स्वतंत्रता और पत्रकारों की सुरक्षा में कानूनी हस्तक्षेप को ध्यान में रखता है।विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक, 2023 हर साल रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स द्वारा प्रकाशित किया जाता है और प्रेस की स्वतंत्रता के स्तर के आधार पर 180 देशों का विश्लेषण किया जाता है ।प्रेस की स्वतंत्रता किसी भी कानूनी प्रणाली के तहत स्पष्ट रूप से कवर नहीं की गई है, लेकिन यह भारत के संविधान, 1950 (सीओआई) के अनुच्छेद 19 (1) (ए) के तहत निहित रूप से संरक्षित है ।भारत में पत्रकारिता के अधिकार स्वतंत्र भाषण और अभिव्यक्ति का अधिकार जानकारी प्राप्त करने और प्रकाशित करने का अधिकार, प्रकाशित एवं प्रसारित करने का अधिकार,साक्षात्कार आयोजित करने का अधिकार,आलोचना करने का अधिकार,अदालती कार्यवाही की रिपोर्ट करने का अधिकार,विज्ञापन का अधिकार। सीओआई में मीडिया की स्वतंत्रता का स्पष्ट रूप से उल्लेख नहीं किया गया है, लेकिन इसे भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का एक अभिन्न अंग माना जाता है जो अनुच्छेद 19(1)(ए) में निहित है। इस अनुच्छेद में कहा गया है कि सभी नागरिकों को बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार होगा।यह अधिकार केवल भारत के नागरिक को ही उपलब्ध है , विदेशी नागरिकों को नहीं। अनुच्छेद 19(1) (ए) के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में किसी भी माध्यम से किसी भी मुद्दे पर अपने विचार और राय व्यक्त करने का अधिकार शामिल है , जैसे मौखिक शब्द, लेखन, मुद्रण, चित्र, फिल्म, चलचित्र आदि। अनुच्छेद 19(2), सीओआई। इस अधिकार का प्रयोग अनुच्छेद 19(2) के तहत लगाए गए कुछ उद्देश्यों के लिए उचित प्रतिबंधों के अधीन है। अनुच्छेद 19 (2) में कहा गया है कि खंड (1) के उप खंड (ए) में कुछ भी मौजूदा कानून के संचालन को प्रभावित नहीं करेगा, या राज्य को कोई कानून बनाने से नहीं रोकेगा, जहां तक ऐसा कानून अभ्यास पर उचित प्रतिबंध लगाता है।