
दिवा: सामाजिक कार्यकर्ता अश्विनी अमोल केंद्र ने मध्य रेलवे प्रशासन की निष्क्रियता के खिलाफ 1 जुलाई 2025 से दिवा रेलवे स्टेशन के बाहर अनिश्चितकालीन धरना शुरू किया ।यह धरना मुख्य मांगों को लेकर शुरू किया दिवा से सीएसएमटी लोकल सेवा तुरंत शुरू की जाए, दिवा में सभी फास्ट लोकल ट्रेनों को रोका जाए और दिवा-पनवेल लोकल सेवा शुरू की जाए।
इस संबंध में उन्होंने मध्य रेलवे प्रबंधक को एक ज्ञापन दिया था। इस ज्ञापन में उन्होंने कहा है कि दिवा एक महत्वपूर्ण जंक्शन होने के बावजूद, फास्ट लोकल ट्रेनें यहां नहीं रुकती हैं और, दिवा से कोई भी लोकल ट्रेन बनकर नहीं जाती है, जिसके कारण यात्रियों को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। 2014 से अब तक सैकड़ों निर्दोष नागरिकों ने रेल दुर्घटनाओं में अपनी जान गंवाई है और हर दिन कम से कम एक दुर्घटना हो रही है, ऐसा ज्ञापन में दावा किया गया है। ज्ञापन में आरोप लगाया गया है कि प्रशासन लोकल किराया बढ़ाने और दिवा से सीएसएमटी लोकल ट्रेनें शुरू करने के प्रति उदासीन है।
अश्विनी केंद्रे ने आरोप लगाया है कि प्रशासन लोकल किराया बढ़ाने और दिवा से सीएसएमटी लोकल ट्रेन शुरू करने के प्रति उदासीन है। सामाजिक कार्यकर्ता अमोल धनराज केंद्रे ने इन मांगों को लेकर पहले भी कई बयान दिए हैं, हस्ताक्षर अभियान चलाए हैं, मार्च निकाले हैं, सात दिन का आमरण अनशन किया है और ढोल बजा आंदोलन भी किया है। लेकिन रेलवे प्रशासन ने अभी तक इस पर कोई ठोस स्थिति स्पष्ट नहीं की है, जिससे नागरिकों में तीव्र आक्रोश है। 9 जून जैसी दुर्भाग्यपूर्ण दुर्घटनाओं से बचने और यात्रियों की जान बचाने के लिए लोकल ट्रेनों का किराया बढ़ाना और दिवा से सीएसएमटी लोकल ट्रेन तुरंत शुरू करना बहुत जरूरी है। अश्विनी केंद्रे ने कहा है कि विद्याविहार, घाटकोपर, डोंबिवली से लोकल सेवाएं शुरू हो सकती हैं, तो दिवा जंक्शन के बावजूद यहां से लोकल ट्रेन क्यों नहीं शुरू हो रही है, उन्होंने सवाल उठाया है। मांग की गई है कि अगर दुर्घटना में जान गंवाने वालों को सच्ची श्रद्धांजलि देनी है तो इन मांगों को तुरंत पूरा किया जाए। बयान में स्पष्ट किया गया है कि यह आंदोलन पूरी तरह लोकतांत्रिक और शांतिपूर्ण तरीके से धरना प्रदर्शन शुरू किया गया।चुनाव आते तब सभी पार्टियां वादा करती है।जितने से बाद भूल जाते है।क्या इंसान की जान की कोई कीमत नहीं है,ऐसे नेताओं को,आए दिन किसी न किसी घर का चिराग या बहन बेटी मौत के भेट चढ़ रहे है। फिर भी रेलवे प्रशासन चुप या अनदेखा कर रहा है ।