
विश्व योग एवं संगीत दिवस पर सुर, लय और नृत्य की त्रिवेणी – नवनीत चौधरी की भूपाली प्रस्तुति में झलकी बनारस घराने की परंपरा
खंडवा।। महान गायक किशोर दा की नगरी खंडवा में शासकीय संगीत एवं ललित कला महाविद्यालय में विश्व योग एवं संगीत दिवस की श्रृंखला में एक दिवसीय भव्य आयोजन हुआ, जिसका शुभारंभ विख्यात मूर्तिशिल्पकार नीरज अहिरवार (भोपाल) द्वारा मूर्तिकला विषयक व्याख्यान एवं प्रदर्शन से हुआ। उनकी कलाभिव्यक्ति ने विद्यार्थियों को दृश्य कला की सूक्ष्मताओं से परिचित कराया। समाजसेवी सुनील जैन ने बताया कि शाम को आयोजित विशेष सांगीतिक संध्या ने शास्त्रीय संगीत प्रेमियों को एक अविस्मरणीय अनुभव प्रदान किया। इस अवसर पर बनारस घराने की ख्यातनाम गायिका श्रीमती नवनीत चौधरी ने राग भूपाली में अपनी संगीतमय साधना प्रस्तुत की। उनके आलाप, विलंबित खयाल और बंदिशों की प्रस्तुति में शुद्धता, भावप्रवणता और तकनीकी सघनता का अद्भुत संगम देखने को मिला। गायन में उनकी पकड़ और शैली पं. राजन-साजन मिश्र जी की परंपरा की छाया लिए हुए थी। नवनीत जी ने स्वर के माध्यम से गुरु-शिष्य परंपरा और भारतीय शास्त्रीय संगीत की आत्मा को सजीव किया। श्री दीपक खसरावल ने हारमोनियम पर भावपूर्ण संगति करते हुए गायन के हर भाव को सजाया, वहीं श्री अरित्रो चौधरी की तबला संगत में ताल की परिपक्वता, संतुलन और तिहाइयों का सुगठित समावेश दिखाई दिया। सुनील जैैन ने बताया कि संगीत दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में गायन उपरांत एक भव्य नृत्य प्रस्तुति ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। सागर (म.प्र.) से पधारे कथक नर्तक नवीन सोनी एवं उनकी शिष्याएँ पायल गोलानी, अदिति नायक तथा हर्षिता पाल ने भगवान श्रीराम के जीवन प्रसंगों पर आधारित कथक प्रस्तुति से दर्शकों को भावविभोर कर दिया।
प्रस्तुति में कथक की परंपरागत मुद्राएँ, चक्कर, लयबद्ध गत और भावाभिनय इतनी सहजता और सजीवता से साकार किए गए कि दर्शक भावों की यात्रा पर निकल पड़े। नवीन सोनी जी की नृत्य की संरचना और भाव संप्रेषण ने यह सिद्ध किया कि कैसे कथा और नृत्य के माध्यम से अध्यात्म और सांस्कृतिक चेतना को एक मंच पर लाया जा सकता है।
इस गरिमामय आयोजन में मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. अरुण जोशी (कुलपति, डॉ. सी.वी. रमन विश्वविद्यालय) की गरिमामयी उपस्थिति रही। श्री अतुल शाह (अध्यक्ष, जनभागीदारी समिति) ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की और महाविद्यालय के प्रयासों की सराहना की। वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. श्रीराम परिहार ने भी कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सांस्कृतिक संवाद के महत्व को रेखांकित किया। कार्यक्रम में महाविद्यालय के समस्त प्राध्यापकगण, विद्यार्थी, स्थानीय कलाकार, शास्त्रीय संगीत एवं नृत्य प्रेमी तथा विद्वानों की उपस्थिति ने आयोजन को एक संस्कृतिक महोत्सव का स्वरूप प्रदान किया।












