
सुकमा जिला में तेन्दुपत्ता संग्राहकों के राशि वितरण में हुए घोटाले और कार्रवाई को लेकर चित्रकोट विधायक विनायक गोयल ने साय सरकार का आभार व्यक्त किया है। विधायक गोयल ने बयान देते हुए बताया कि कांग्रेस शासन में किये गए घोटालों पर नकेल कसने कार्रवाई करने का काम साय सरकार में हो रहा है। उन्होंने बताया कि सुकमा जिला में तेन्दुपत्ता संग्राहकों को दो साल की बोनस राशि में प्रबंधकों ने केवल एक साल का ही भुगतान किया। वो भी आधा-अधूरा। वनमंडल सुकमा के कोंटा, किस्टाराम और गोलापल्ली वन परिक्षेत्र में कई फर्जी संग्राहकों के नाम पर भुगतान दर्शाया गया। भाजपा सरकार द्वारा जांच कराये जाने पर जांच के दौरान मामला उजागर हुआ। कई ऐसे संग्राहकों को भी राशि दी गई है, जिनकी मौत सालों पहले हो चुकी है।धनीराम बारसे ने बताया सुकमा वनमंडल के तहत तेंदूपत्ता सीजन वर्ष 2021 में 15 समिति और वर्ष 2022 में 10 समितियों में कुल 65471902 रुपए की राशि बोनस के रूप में मिली थी। इसे सुकमा वनमंडल के करीब 66 हजार संग्राहकों को भुगतान किया जाना था। इस राशि को बीते अप्रैल में ही समिति प्रबंधकों ने आहरण कर लिया और 8 महीने तक इसका भुगतान संग्राहकों को नहीं किया। नक्सलवाद और संवेदनशीलता का हवाला देकर अफसरों ने 36278881 की राशि का वितरण नगद करने विशेष अनुमति ली।
विधायक विनायक गोयल ने कहा कि आदिवासियों के लिये तेंदुपत्ता हरा सोना है. उनके आर्थिक सुधार का महत्वपूर्ण कड़ी है। मामले को लेकर उन्होंने वनमंत्री केदार कश्यप से चर्चा की और घोटाले के संबध में जानकारी प्रदान की। उन्होंने बताया कि जिला यूनियन सुकमा के अंतर्गत कुछ प्राथमिक लघुवनोपज समितियों द्वारा कुछ संग्राहकों को नगद वितरण किया जा चुका है एवं 11 समितियों में कुछ संग्राहकों को वितरण नहीं किया गया है, इसके कारण वनमण्डलाधिकारी को सरकार द्वारा निलंबित कर दिया गया है। प्रकरण में एंटी करप्शन ब्यूरो द्वारा जांच किया जा रहा है,जिसमें वनमंडलाधिकारी सुकमा पर आपराधिक मामले दर्ज करते हुए उनकी गिरफ्तारी की गई । सुकमा जिला भाजपा की मांग पर जिन 11 समितियों में नगद प्रोत्साहन पारिश्रमिक का वितरण नहीं किया गया है उन समस्त 11 समितियों के प्रबंधकों को काय से पृथक कर दिया गया है, उन 11 समितियों के संचालक मंडल को भंग कर दिया गया है। समितियों के नोडल अधिकारियों के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई प्रारंभ की जा चुकी है । इस कार्रवाई के लिये उन्होंने मंत्री केदार कश्यप जी का आभार जताया उन्होंने वनमंत्री से निवेदन किया है कि 11 समितियों के कितने संग्राहकों को प्रोत्साहन पारिश्रमिक की राशि प्राप्त नहीं हुई है, उसका छानबीन/परीक्षण किया जाये और स्थिति स्पष्ट होने के उपरांत उचित कार्रवाई करें।
तेंदूपत्ता बोनस वितरण को लेकर उठे विवाद पर विधायक विनायक गोयल ने विपक्ष के आरोपों को नकारते हुए सरकार की तत्परता और पारदर्शिता की सराहना की है। उन्होंने कहा कि आरोप लगाना आसान है, लेकिन तथ्यों की जांच करना जरूरी होता है। विधायक विनायक गोयल ने कहा कि कांग्रेस नेता चरणदास महंत द्वारा लगाए गए 8 करोड़ के गबन के आरोपों की जांच खुद सरकार के निर्देश पर की जा रही है, और पहली बार ऐसा हुआ कि गड़बड़ी सामने आते ही जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ त्वरित कार्रवाई हुई। वनमंडलाधिकारी सुकमा को निलंबित कर गिरफ्तार किया गया, 11 समितियों के प्रबंधकों को कार्य से हटाया गया और संचालन मंडल भंग किया गया। यह सब सरकार की इच्छाशक्ति और ईमानदारी का प्रमाण है। नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत को सच्चाई हज़म नहीं हो रही, सरकार की पारदर्शिता पर सवाल उठाकर जनता को गुमराह कर रहे हैं। अगर सरकार ने कार्रवाई नहीं की होती, तो ये मामला दबा रह जाता। लेकिन हमारी सरकार ने न केवल भ्रष्टाचार को उजागर किया, बल्कि दोषियों को सजा दिलाने की दिशा में कड़े कदम उठाए। उन्होंने कहा कि तकनीकी कारणों से कुछ संग्राहकों के बैंक खाते उपलब्ध नहीं होने के कारण नगद वितरण की अनुमति शासन से ली गई थी, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि हर मेहनतकश संग्राहक को उसका हक मिले। गोयल ने यह भी स्पष्ट किया कि जिन समितियों में वितरण नहीं हुआ है, उनकी भी जांच जारी है और दोषियों को किसी भी हालत में बख्शा नहीं जाएगा। यह कांग्रेस की विफलता है कि वह खुद अपने कार्यकाल में ऐसा सिस्टम नहीं बना सकी जिसमें आदिवासियों को समय पर और पारदर्शी तरीके से लाभ मिल सके। भाजपा सरकार ने उस खामी को सुधारते हुए न केवल जवाबदेही तय की है, बल्कि सिस्टम को भी मजबूत किया है।