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दिखावटी विरोध कर अपनी दुकानों में दुबके व्यापारी नेता, रानीखेत मेले में खुल कर बिक रहे रेडीमेड और प्लास्टिक का सामान, प्रशासन भी भूला अपने किये गए वादे को, आखिर में ठगा गया आम दुकानदार।

दिखावटी विरोध कर अपनी दुकानों में दुबके व्यापारी नेता, रानीखेत मेले में खुल कर बिक रहे रेडीमेड और प्लास्टिक का सामान, प्रशासन भी भूला अपने किये गए वादे को, आखिर में ठगा गया आम दुकानदार।

रानीखेत एन सी सी ग्राउंड में लग रहे मेले में एक बार फिर से रानीखेत के व्यापारी नेताओ की खोखली राजनीति की धज्जिया उड़ा कर रख दी हैं। मेला लगाने से पहले दर्जनों व्यापारियों को लेकर संयुक्त मजिस्ट्रेट और छावनी परिषद् पहुंचने वाले व्यापारी नेता मेला शुरू होते ही अपनी दुकानों में दुबके हुए नज़र आये हैं। वही ये मेला छावनी परिषद् के अधिशाषी अधिकारी को भी खुली चुनौती देता हुआ दिखाई दे रहा है , लेकिन प्रशासन अपने किये हुए वादे ही पूरे करता नहीं दिख रहा है।

कुछ दिन पूर्व हुए विरोध प्रदर्शन के बाद छावनी परिषद के अधिशाषी अधिकारी कुनाल रोहिला ने रानीखेत के व्यापारियों को आश्वासन दिया था कि मेले में केवल हैंडलूम से सम्बंधित सामान ही बेचा जायेगा। लेकिन मेला शुरू होने के बाद यहाँ रेडीमेड गारमेंट्स, प्लास्टिक और स्टील के बर्तन भी दिखाई दे रहे हैं। जो की मेला लगाने की शर्तो का खुला उल्लंघन है।

मेला लगने से पहले जो नेता व्यापरिक हितों के लिए दुनिया हिला देने को तैयार थे, या तो वो मेले में लगी दुकाने देखने ही नहीं जा पाए या फिर मेले में लगी दुकाने देखने के बाद किन्ही कारणों से सभी व्यापारिक हितों को भुलाकर चुपचाप वापस अपनी दुकानों में बैठ गए। सही कारण क्या रहा ये तो वही नेता बता सकते हैं।

वही दूसरी ओर छावनी प्रशासन भी मेला ठेकेदार से हुई अपनी बातचीत को लागू करवाने में सफल नहीं हो पाया है। जब मेला ठेकेदार ने वचन दिया था तो छावनी परिषद् के अधिकारियों को भी वहां जाकर इस बात को सुनिश्चित करना चाहिए था कि वहां जो दुकाने लगी है वो नियमो के आधार पर लगी हैं या नहीं। हैंडलूम के अलावा अन्य दूकान लगाए जाने पर यदि रानीखेत के व्यापारी आक्रोशित हो जाते तो कानून व्यवस्था पर संकट आ सकता था। लेकिन इसमें स्थानीय प्रशासन अपनी कही बात को पूरा करवाने में फेल साबित हुआ है।

लेकिन इन सबके बीच स्थानीय दुकानदार खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहा है। तथाकथित नेतागण तो अपनी राजनीती चमका कर अखबारों में अपना नाप और फोटो छपवाने में कामयाब रहे। लेकिन आम व्यापारी के हाथ इन सब में खाली ही रहे है और वह खुद को नेताओ और प्रशासन द्वारा ठगा हुआ महसूस कर रहा है।

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