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सनातन के संस्कार ओढ़कर खंडवा से यमलोक गया फ्रांस का स्टीफन!

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एडिटर/संपादक:-तनीश गुप्ता,खण्डवा

सनातन के संस्कार ओढ़कर खंडवा से यमलोक गया फ्रांस का स्टीफन!

खंडवा, अजब है यह शहर। गजब है यह शहर। संवेदनशील हैं यहां के लोग। सनातन की ऊर्जा से सिंचित इस शहर की सेवा भावना शुक्रवार को खंडवा में दिखी, जिस व्यक्ति ने फ्रांस जैसे देश में जन्म लिया। उसके स्वर्ग जाने का रास्ता खंडवा से तय हुआ। समाजसेवी सुनील जैन ने बताया कि यहां की संस्था पूर्व निमाड़ सांस्कृतिक सामाजिक समिति, पुलिस और जिले के प्रशासन के प्रतिनिधि, संत और समाजसेवक इस हवन रूपी क्रिया कर्म में शामिल हुए, शार्ट में कहानी बताना जरूरी है, कि स्टीफन नाम के फ्रांस निवासी व्यक्ति को हिंदू और सनातन से लगाव हो गया । देश के तीर्थों में घूमते हुए ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग पहुंच गए।नियति ने उनकी यात्रा शायद यही तक तय की थी। ऑक्सीजन की कमी के चलते हृदयाघात से खंडवा अस्पताल लाते हुए उनका निधन हो गया।

,परिजन बोले, संत हो गया था बेटा,

दूतावास के माध्यम से फ्रांस में संपर्क किया गया। स्टीफन के परिजनों ने कहा कि वह तो संत हो गया था। हिंदू रीति रिवाज से वहीं अंतिम संस्कार कर दिया जाए। और अस्थियां पवित्र नदी में विसर्जित की जाए, संतो के हाथों शायद मोक्ष लिखा हुआ था। पूरे हिंदू रीति रिवाज से अंतिम यात्रा निकाली और किशोर कुमार मुक्तिधाम पर अंतिम क्रिया कर्म किया गया।

,अनजान, फिर भी मन उदास,

स्टीफन चिरनिद्रा में लीन थे। यहां पहुंचे लोगों में जीते जी उन्हें कोई नहीं जानता था। फिर भी सबके मन उदास थे, उन्हें हाथ जोड़कर अंतिम विदाई दी गई। मामला दूतावास और विदेश से जुड़ा था, इसलिए एसडीएम बजरंग बहादुर, मोघट टीआई धीवेश धारवाल भी मौजूद रहे।

,ये सनातन की परिभाषा,

समिति के भूपेंद्र चौहान ने कहा, यही सनातन की परिभाषा है। यही हमारे संस्कार हैं। उनकी अंतिम क्रिया कितने तरीके से हुई। यह शायद फ्रांस में भी संभव नहीं होता। समाजसेवी सुनील जैन ने कहा कि अनेकता में एकता यही हमारी भारत की विशेषता है, भारत में सबको समा लेने की क्षमता है, हमने सोचा भी नहीं था कि हमारी संस्था जो अज्ञात शवो का अंतिम संस्कार करती है एक विदेशी नागरिक का भी हमारे द्वारा अंतिम संस्कार होगा, स्टीफन शायद मृत्यु के बाद किस्मत वाले थे, जो व्यवस्थित और हिंदू रीति रिवाज के संस्कार ओढ़कर यमलोक गए।

,,प्रशासन की मुस्तैदी,,

एसडीएम बजरंग बहादुर का कहना है कि स्टीफन से जुड़ा मामला प्रशासन ने संवेदनशीलता से लिया। दूतावास और विदेशी नागरिक होने के कारण सब कुछ वहां के निर्देशों पर किया। प्रशासन ने संतों और समाज सेवायों के माध्यम से मृतक स्टीफन की अंतिम प्रक्रिया कराई।

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