
स्वयम के पुरुषार्थ से ही मोक्ष मार्ग मिलता है
नवकार नगर जिनालय में बह रही है जिनवाणी की गंगा
खंडवा/जैसे धूप के साथ छांव,पुष्प के साथ कांटा,सूरज के साथ चन्द्रमा का सम्बंध है वैसे ही विषय कषायों के साथ वीतरागता का सम्बन्ध है।मोह,राग,द्वेष आदि विकारी भाव नहीं होते तो वीतरागता की आवश्यकता नहीं होती।वीतराग का अर्थ ही है कि जिसका राग बीत गया हो।एक बार जिसने सम्यक रूप से वीतराग मार्ग को अपना लिया उसे मोक्ष मार्ग से कोई भी डिगा नहीं सकता।इस दुखद पंचम काल मे सुगमता,सुलभता और सरलता से दिगम्बर संतो के दर्शन और समागम मिलना पुण्य का अवसर है।प्राचीन काल मे तो मीलों दूर,सघन वन्य क्षेत्रों में संत महात्मा रहते थे।
आचार्य पूज्यपाद स्वामी द्वारा विरचित इष्टोपदेश ग्रन्थ पर वाचना करते हुए आर्यिका सुनयमती जी ने कहा कि सिद्ध परमेष्ठी की भक्ति व गुणगान करने का सबसे श्रेष्ठ माध्यम है यह ग्रँथराज।इसमे वीतरागता और सर्वज्ञता के प्रतीक सिद्ध भगवान को बारम्बार नमस्कार किया गया है।इस ग्रन्थ में परमात्मा बनने की विधि को बताया गया है।मात्र प्रवचन सुनने,शास्त्र श्रवण करने और सन्त समागम से मोक्ष नहीं मिलता।मोक्ष के लिये स्वयम को पुरुषार्थ करना होता है।जिस प्रकार फूल में सुगन्ध,दूध में घी का समावेश शाश्वत है उसी प्रकार प्रत्येक जीव का आत्मा भी अपने स्वयम में ज्ञान,दर्शन और चेतना के गुण से युक्त है।
मुनि सेवा समिति प्रचार मंत्री सुनील जैन एवं प्रेमांशु चौधरी ने बताया कि आर्यिका ससंघ के मंगल प्रवचन,स्वाध्याय,आहार चर्या आदि नवकार नगर स्थित मुनिसुव्रतनाथ जिनालय में हो रही है।प्रतिदिन प्रातः इष्टोपदेश ग्रन्थ पर मांगलिक प्रवचन,दोपहर में ज्ञानाणर्व ग्रन्थ पर स्वाध्याय एवम शाम को गुरु भक्ति,बाल कक्षा एवम शंका समाधान कार्यक्रम हो रहे है।कार्यक्रम के प्रारम्भ में मुनि सेवा समिति के अध्यक्ष विजय सेठी,नवकार मन्दिर के अशोक पाटनी, पोरवाड़ ट्रस्ट के वीरेंद्र जैन,राजेन्द्र छाबड़ा, भानुकुमार सेठी,प्रकाशचन्द जैन,सुरेशचंद जी ने आर्यिका संघ के चरणों मे श्रीफल भेंटकर आशीर्वाद प्राप्त किया।नवकार ट्रस्ट के दीपक सेठी,मनीष सेठी,सुलभ सेठी,मनीष पाटनी, पंकज छाबड़ा,पंकज सेठी ने सभी समाजजनों से उपस्थित होकर धर्मलाभ लेने की अपील की है।मंगलाचरण नीता लुहाड़िया ने एवम संचालन अविनाश जैन ने किया।कार्यक्रम के अंत मे संघस्थ करिश्मा दीदी द्वारा आचार्य सुन्दरसागर जी एवम माताजी के अर्घ्य का वाचन किया गया।