आज दिनांक 20/12/2024को जवाहरलाल नेहरू शासकीय महाविद्यालय बड़वाह में एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन महाविद्यालय में किया गया “कौशल विकास के क्षेत्र में शोध एवं नवाचार “इस सेमिनार में कांति सूर्य टंट्या भील विश्वविद्यालय खरगोन के कुल गुरु डॉ. मोहनलाल कोरी मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे इस सेमिनार में बहुत से विद्वानों एवं शिक्षाविदों ने अपने-अपने विचार रखे इसी प्रकार कुछ विद्वान ऑनलाइन डॉ. संदीप भट्ट एवं डॉ. कामिनी शाह सरदार पटेल विश्वविद्यालय आनंद गुजरात से डॉ. पायल चतुर्वेदी जयपुर से एवं डॉ. अभिषेक कुमार सिंह दिल्ली विश्वविद्यालय से जुड़े और अपने विचार व्यक्त किया कार्यक्रम का प्रारंभ मां सरस्वती की वंदना एवं दीप प्रज्वलन से प्रारंभ हुआ कार्यक्रम की अध्यक्षता संस्था प्रमुख डॉ. मंगल ठाकुर ने की इस कार्यक्रम में जन भागीदारी के माननीय सदस्य श्री रमेश विजयवर्गीय श्री महीम सिंह ठाकुर श्री ऐरन एवं श्री चौधरी जी उपस्थित रहे साथ ही महाविद्यालय के समस्त शैक्षणिक स्टाफ एवं बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं एवं रिसर्च स्कॉलर उपस्थित रहे कुल गुरु डॉ. कोरी ने शिक्षा एवं कौशल दोनों को एक दूसरे का पूरक बताया आज भारत में गरीबी बेरोजगारी एवं असमानताओं को दूर करने का सर्वोत्तम माध्यम कौशल विकास है इसी प्रकार भूतपूर्व प्राचार्य खरगोन डॉ. देवड़ा ने छात्रों से कहा कि आप सही से प्रशिक्षण लेकर अपना कौशल विकास करके अपना व्यवसाय प्रारंभ कर सकते हैं इसी क्रम में विश्वविद्यालय के कुल सचिव डॉ. जी एस चौहान ने प्राचीन काल के इतिहास का वर्णन करते हुए कहा कि भारत प्राचीन समय में विश्व के आर्थिक विकास में 33% का योगदान देता था लेकिन अंग्रेजों के शासन के बाद हम आर्थिक विकास के क्षेत्र में पीछे हो गए क्योंकि मैक्सगूलर ने अंग्रेजी शिक्षा लाकर हमारे ग्रामीण स्वावलंबन को नष्ट कर दिया और ग्रामीण स्किल को समाप्त कर दिया इसी क्रम में श्री महिमा ठाकुर ने हमारे कौशल को नष्ट करने में अंग्रेजों की नीतियों को जिम्मेदार बताया श्री रोमेश विजयवर्गीय ने कहा कि सरकार की योजना कौशल ग्राम विकास की है जहां पर देश के नौजवानों को प्रशिक्षण देकर स्वावलंबी बनाया जाएगा इसी प्रकार डॉ. भट्ट ने रामायण के पात्रों से कौशल विकास की शिक्षा लेने की जरूरत बताई उनका कहना था कि कोई भी ज्ञान बिना जिज्ञासा पूर्ण किया तथा उसे पर चर्चा किया बिना पूर्ण नहीं होगा डॉ.अभिषेक सिंह ने शोध में कृत्रिम बुद्धिमत्ता की टेक्नोलॉजी को ज्यादा से ज्यादा अपनाने की शिक्षा दी जिससे हम हर क्षेत्र में नवाचार तेजी के साथ कर सकते हैं डॉ. डीसी राठी ने छात्रों से सॉफ्ट स्किल को विकसित करने कि आवश्यकता को बताया क्योंकि आज के युग में बिना स्किल को विकास किये बिना हम विकास नहीं कर सकते डॉ.राजीव शर्मा ने जीवन में संप्रेषण कला को विकसित करने पर जोर दिया तथा समाज में कई उदाहरण भी बताएं इसके साथ डॉ के आर कुमेकर एवं श्री बी एस सेंगर तथा श्री सुदर्शन दुबे एवं श्री समंति जैन जो कि एक उद्यमी है उदाहरण द्वारा कौशल विकास के सकारात्मक पहलुओं को प्रस्तुत किया ।