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सुमिता शर्मा चंद्रपुर महाराष्ट्र:
प्रदेश में लोकसभा चुनाव का माहौल है. लेकिन इस बीच मार्च और अप्रैल के 61 दिनों में 66 किसानों की मौत हो चुकी है. जनवरी से अप्रैल तक चार महीनों में 188 किसान अपनी जान दे चुके हैं. दुनिया के पालनहार आर्थिक और मानसिक संकट में हैं, लेकिन सरकार, प्रशासन और राजनेता इसे नजरअंदाज कर रहे हैं। किसान प्राकृतिक आपदाओं, सूखा, बंजरता, साहूकारों के बैंकों के कर्ज, कर्ज वसूली की समस्या, बाल विवाह, बीमारी सहित अन्य कारणों से आत्महत्या कर रहे हैं। दिलचस्प बात यह है कि अकेले अमरावती जिले में मार्च महीने में 40 से अधिक किसानों ने आत्महत्या की है।
चूंकि जिला प्रशासन चुनाव की तैयारियों और राजनीति में व्यस्त है, ऐसे में लोकसभा चुनाव के दौरान दुनिया की अनदेखी की गयी है । राज्य में सबसे ज्यादा किसान आत्महत्याएं अमरावती संभाग में हो रही हैं। एक चौंकाने वाला आंकड़ा सामने आया है कि 2001 से 2024 तक 5294 किसानों की मौत हो चुकी है, जबकि सबसे ज्यादा आत्महत्या अमरावती जिले में है। जिला प्रशासन के आंकड़ों से चौंकाने वाली हकीकत सामने आई है।
एक ओर जहां किसानों की आत्महत्याएं बढ़ रही हैं, वहीं दूसरी ओर तूफानी हवाओं के साथ बेमौसम बारिश ने एक बार फिर किसानों के मुंह का निवाला छीन लिया है । चंद्रपुर जिले के कई हिस्से में तूफानी हवाओं के साथ भारी बारिश से किसानों को भारी नुकसान हुआ है। चंद्रपुर जिले के कुछ क्षेत्र में आई आंधी के साथ बारिश से पॉलीहाउस के शेड नष्ट हो गए। इससे किसानों को लाखों रुपये का नुकसान हुआ। खेतों में कड़ी मेहनत कर बैंक से कर्ज लेकर बनाया गया पॉलीहाउस उनकी आंखों के सामने टूट रहा है, जिससे किसान हताश हो गए हैं। किसानों की मांग है कि सरकार तुरंत पंचनामा जारी करे और मुआवजा दे । लेकिन चुनावी माहौल में शासन प्रशासन व्यस्त होने की वजह से किसानों की ओर कोई ध्यान देनेवाला नही है ।