सर्मिष्ठा नाग–कोलकाता-पीएम मोदी के लिए मछली बनाने की ममता की पेशकश को लेकर विवाद, भाजपा ने बताया राजनीतिक एजेंडा बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लिए मछली बनाने की पेशकश पर विवाद गहरा गया है। अलग-अलग राजनीतिक दलों ने मिली-जुली प्रतिक्रिया दी है। एक तरफ जहां भाजपा ने इस पर कड़ी आपत्ति जताते हुए इसे राजनीतिक एजेंडा करार दिया, वहीं माकपा ने ममता की इस पेशकश को तृणमूल कांग्रेस और भाजपा के बीच सहमति बताया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के हालिया बयान को लेकर उनपर तंज कसते हुए ममता ने कहा था कि अगर वह (मोदी) चाहें तो मैं उनके लिए मछली बनाने को तैयार हूं, लेकिन वह इस बात को लेकर आश्वस्त नहीं हैं कि मोदी उनके हाथ का पका खाना खाएंगे या नहीं।
मोदी ने पिछले महीने राजद के नेता तेजस्वी यादव पर ऐसे समय में मछली खाने को लेकर कटाक्ष किया था, जिस दौरान हिंदू मांसाहार के सेवन से परहेज करते हैं। ममता ने लोगों की खान-पान की आदतों में कथित तौर पर हस्तक्षेप करने को लेकर यहां एक रैली में यह कटाक्ष किया था।
भाजपा की राज्य इकाई के पूर्व अध्यक्ष और त्रिपुरा के पूर्व राज्यपाल तथागत राय ने एक्स पर जारी पोस्ट में कहा कि ममता बनर्जी, मोदी जी को अपने हाथ की बनी मछली और चावल खिलाना चाहती हैं। अच्छा प्रस्ताव है, लेकिन उससे पहले वह अपने विश्वस्त फिरहाद हकीम को सुअर का मांस खिलाइये? इससे तीन उद्देश्य पूरे होंगे, पहला धर्मनिरपेक्षता को बढ़ावा मिलेगा, दूसरा लोगों को मालूम पड़ेगा कि कोई भी चीज घर से शुरू होती है और तीसरा पकौड़े की भी प्रशंसा हो जाएगी।
भाजपा नेता संकुदेब पांडा ने दावा किया कि ममता ने जानबूझकर मोदी को यह जानते हुए आमंत्रित किया कि वह पूर्ण रूप से शाकाहारी हैं। वह कट्टर सनातनी हिंदुओं का अपमान कर रही हैं। ममता की टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया देते हुए माकपा नेता विकास भट्टाचार्य ने कहा कि भाई और बहन होने के नाते ममता दीदी निश्चित रूप से प्रधानमंत्री के लिए भोजन पकाने की पेशकश कर सकती हैं, मुझे नहीं पता कि यह उन्हें खुश करने के लिए है या नहीं।
भट्टाचार्य ने भाजपा और टीएमसी के बीच कथित गुप्त समझौते के संदर्भ में यह टिप्पणी की। भट्टाचार्य ने कहा कि ममता बनर्जी और नरेन्द्र मोदी दोनों ही देश को इस स्थिति में लाने के लिए जिम्मेदार हैं। दोनों राजनीति को धर्म के साथ मिला रहे हैं।