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धर्म और कर्म की सुचिता ही श्रीमदभागवत कथा का सार-आचार्य करूणाशंकर                             

रूक्मणी विवाह को लेकर झांकी में मंत्रमुग्ध श्रद्धालु

धर्म और कर्म की सुचिता ही श्रीमदभागवत कथा का सार-आचार्य करूणाशंकर

लालगंज, प्रतापगढ़। अझारा वार्ड में हो रही श्रीमदभागवत कथा में श्री रूक्मणी विवाह को देख श्रद्धालु भावविभोर हो उठे। राजा परीक्षित के मोक्ष की कथा का भी कथाव्यास आचार्य करूणाशंकर दुबे ने वर्णन करते हुए कहा कि प्रभु के नाम जप में ही मनुष्य को जीवन के ज्ञान की अनुभूति हुआ करती है। कथाव्यास ने भगवान श्रीकृष्ण की महिमा का बखान करते हुए कहा कि धर्म और कर्म की सुचिता ही श्रीमदभागवत कथा का सार है। वहीं श्री रूक्मणी विवाह में श्रद्धालुओं ने पुष्पवर्षा कर हरे राधे हरे कृष्ण के मनमोहक संकीर्तन की भी प्रस्तुतियां दी। श्रद्धालुओ ने भगवान श्रीकृष्ण व रूक्मणी जी का पांव पूजन भी विधिविधान से किया। यज्ञाचार्य पं. शिवानंद मिश्र ने श्रीमदभागवत कथा को अमृत कथा बताया। कथा के संयोजक प्रवीण मिश्र व निर्मला मिश्रा ने व्यासपीठ का पूजन अर्चन किया। इस मौके पर अटल बिहारी मिश्र, श्रवण कुमार मिश्र, एनएस त्रिपाठी, साकेत मिश्र, इं. रमेश शुक्ला, आचार्य राजेश मिश्र, आईपी मिश्र, अर्चना मिश्रा, निशा मिश्रा, आनन्द मिश्र, श्रीश पाण्डेय, सर्वेश मिश्र, शैलेन्द्र शुक्ला, शिवम मिश्र, सत्यम मिश्र आदि रहे।

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