नगर सहित ग्रामीणों में गुंजा हर हर महादेव
बेतिया :- बिहार:- से अहमद राजा खान की रिपोर्ट
08/03/2024
आज शिवरात्रि के पर्व के अवसर पर नगर सहित ग्रामीण क्षेत्र में भी सुबह से ही बजने लगा हर हर महादेव भोलेनाथ की आवाज शिवरात्रि के पावन अवसर पर बड़े हर्ष उल्लास के साथ मनाया गया साथ ही बच्चों को मेला का आनंद लिया साथी बड़े बुजुर्ग जलाभिषेक किया महिलाएं भी शामिल थे जलाभिषेक करने के बाद मंत्र उच्चारण पढ़कर बाबा भोलेनाथ एवं मां पार्वती की पूजा अर्चना किया गया।
हिंदू पंचांग के अनुसार इस वर्ष महाशिवरात्रि की चतुर्दशी तिथि की शुरुआत 08 मार्च को रात 09 बजकर 47 मिनट से होगी, जिसका समापन 09 मार्च को शाम 06 बजकर 17 मिनट पर होगा। यानी महाशिवरात्रि का त्योहार 08 मार्च, शुक्रवार को मनाया गया।
रामनगर के भव्य शिव मन्दिर मे पूजा जलाभिषेक करने के लिए लगा ताता
इसी दौरान सेमरा थाना क्षेत्र के बैराटी बरियारवा पंचायत के वार्ड न ०.10 रमवालिय से आये एक भक्त सुभाष पड़ित का मोटरसाईकल मंदीर के पास से चोरी हो गया। जिसके कारण वह बहुत परिसान रहे। रात में ही आवेदन पत्र लेकर वह रामनगर थाना पहुँचे।
देशभर में बड़े ही शुभ योग में महाशिवरात्रि मनाई जा रही है। हिंदू पंचांग के मुताबिक हर साल महाशिवरात्रि का त्योहार फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। सनातन धर्म में महाशिवरात्रि के पर्व का विशेष महत्व होता है। इस पर्व पर पूरे दिन व्रत रखते हुए शिव मंदिरों में जलाभिषेक औरनरवल बोरवल पंचायत समिति सभागार में आयोजित क्रितन का आयोजन किया गया है विशेष धार्मिक आयोजन होते हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस तिथि पर भगवान शिव और मां पार्वती का विवाह हुआ था।
पौराणिक कथा के अनुसार, देवों के देव महादेव और मां पार्वती का विवाह फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को हुआ था। इसी वजह से हर साल फाल्गुन माह में महाशिवरात्रि के पर्व को बेहद उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस विशेष अवसर पर शिव भक्त भगवान शिव की बारात निकालते हैं। साथ ही भगवान भोलेनाथ और मां पार्वती की विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। साथ ही व्रत करते हैं।मान्यता के अनुसार, ऐसा करने से साधक को वैवाहिक जीवन से संबंधित सभी परेशानियों से छुटकारा मिलता है। साथ ही दांपत्य जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है।
हर महीने में शिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है, लेकिन फाल्गुन माह की शिवरात्रि का विशेष महत्व है। इसे महाशिवरात्रि के नाम से जाना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि फाल्गुन माह की चतुर्दशी तिथि पर भगवान शिव और मां पार्वती का विवाह हुआ था। इसी वजह से फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है।
कहते हैं महाशिवरात्रि के दिन भगवान् शिव ने देवी पार्वती से विवाह किया था|
जब देवता और राक्षस अमृत की खोज में समुद्र मंथन कर रहे थे तब मंथन से विष निकला था और स्वयं भगवान शिव ने विष पी कर उसे अपने कंठ में रोक लिया था जिस वजह से उनका शरीर नीला पड़ गया था और उनको “नीलकंठ” भी कहा जाता है। विष पीकर उन्होंने सृष्टि और देवतागण दोनों को बचा लिया तो इसलिए भी शिवरात्रि का उत्सव मनाया जाता है।
एक और किवदंती यह है कि जब देवी गंगा पूरे उफ़ान के साथ पृथ्वी पर उतर रहीं थी तब भगवान शिव ने ही उन्हें अपनी जटाओं में धरा था। जिससे पृथ्वी का विनाश होने से बच गया था। इसलिए भी इस दिन को शिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है और इस दिन शिवलिंग का अभिषेक भी किया जाता है।ऐसी मान्यता भी है कि भगवान ने शिवरात्रि के दिन सदाशिव जो कि निराकार रूप हैं, उससे लिंग स्वरुप लिया था। इसलिए भक्त रात भर जागकर भगवान शिव की अराधना करते हैं।
अहमद राजा खान