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“योग केवल शारीरिक व्यायाम नहीं, बल्कि जीवन को संतुलन और शांति देने की एक कला है,” शक्ति दीदी

योग दिवस पर ब्रह्माकुमारी विश्वविद्यालय में हुआ योग कार्यक्रम,

*एडिटर/संपादक:-तनीश गुप्ता,खण्डवा*

“योग केवल शारीरिक व्यायाम नहीं, बल्कि जीवन को संतुलन और शांति देने की एक कला है,” शक्ति दीदी

योग दिवस पर ब्रह्माकुमारी विश्वविद्यालय में हुआ योग कार्यक्रम,

खंडवा।। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय खंडवा द्वारा भाग्योदय भवन आनंद नगर मे कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमे सहज योग ग्रुप की सुहानी उधलानी एवं उनके ग्रुप द्वारा शरीर को स्वस्थ बनाने के लिए सामूहिक योगाभ्यास कराया गया, योग की विभिन्न क्रियाएं भी सिखाई साथ ही अपनी अपनी विभिन्न प्रकार की प्रस्तुति दी। समाजसेवी सुनील जैन ने बताया कि प्रातः 8 बजे कार्यक्रम की शुरुआत संगठित राजयोगा मेडिटेशन से हुई, जिसमे संस्था से जुड़े सभी सदस्यों ने अपने आसपास के वायुमंडल में शांति की ऊर्जा का संचार किया। इस अवसर पर संस्था प्रभारी बीके शक्ति दीदी ने राजयोग का महत्व बताते हुए कहा कि आज हम सभी लोग यहां अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के खास मौके पर इकट्ठे हुए हैं, ये दिन पूरी तरह से योग को समर्पित है। वैसे योग के लिए कोई एक दिन नहीं होता, लेकिन ये दिन योग के महत्व को बताने और लोगों को इसे अपने जीवन में उतारने के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से मनाया जाता है, यह सिर्फ एक तारीख या औपचारिक दिन नहीं है, बल्कि भारतीय ज्ञान परंपरा की विश्व स्वीकृति का प्रतीक बन गया है। योग केवल शारीरिक व्यायाम नहीं, बल्कि जीवन को संतुलन और शांति देने की एक कला है, योग शरीर, मन और आत्मा को जोड़ता है। योग केवल शारीरिक व्यायाम नहीं है, बल्कि यह हमारे जीवन के हर पहलू को प्रभावित करता है। योग अच्छी या विपरीत हर एक परिस्थिति में खुद को बैलेंस रखने की एक वैज्ञानिक और आध्यात्मिक प्रक्रिया है, आज की लाइफस्टाइल में हम मशीन की तरह काम कर रहे हैं, बच्चे मोबाइल में खोए हैं, युवा काम, करियर और निजी जीवन को लेकर तनाव में हैं, बुजुर्ग अकेलेपन से जूझ रहे हैं, ऐसे में योग सबको एक मंच पर लाकर संतुलन और शांति देता है, ऐसे मे योग की प्रासंगिकता पहले से कहीं ज्यादा बढ़ गई है, महामारी, तनाव, असंतुलित जीवनशैली और मानसिक दबाव के इस दौर में योग ही एकमात्र ऐसा माध्यम बनकर उभरा है जो तन, मन और आत्मा को संतुलित और शुद्ध करता है, “ब्रह्माकुमारीज़ संस्था में सिखाया जाने वाला राजयोग” भारत का सबसे प्राचीन और परमात्मा द्वारा सिखाया गया योग है, यह आत्मा में व्याप्त दुःख और पाप के पाँच मूल कारणों- काम, क्रोध, लोभ, मोह और अहंकार को दूर करने वाला एकमात्र योगाभ्यास है, जबकि कोई भी प्रचलित योगासन ऐसा नहीं है जो मन को मोह या अहंकार से मुक्त कर सके। वर्तमान समय में ऐसे ही योगाभ्यास की आवश्यकता है जो मनुष्य के मन को स्वस्थ और निरोग बना सके, जब मनुष्य की मनोदशा अर्थात् मन की दशा सकारात्मक होती है, तो मन परमात्म अनुभूति का माध्यम बनकर जीवन के महान लक्ष्य – जीवनमुक्ति की अनुभूति कराने का साधन बन जाता है, परन्तु जब मनुष्य के मन की दशा नकारात्मक होती है तो मन जीवन में रोग, शोक और दुःख का कारण बन जाता है, इसलिए मन को स्वस्थ और प्रसन्न बनाने वाला योग ही यथार्थ योग है और इससे ही जीवन में सच्ची सुख, शान्ति और खुशी आती है।कार्यक्रम में ब्रह्माकुमारी बहने एवम अत्यधिक संख्या मे संस्था के बी.के. भाई बहने उपस्थित रहे..

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