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उपखण्ड की सड़कों पर टोकन लेकर मौत बनकर दौड़ रहे ओवरलोड वाहन, बुझ चुके हैं कई घरों के चिराग

कल्लू खान कामां डींग /कामां क्षेत्र में ओवरलोड वाहनों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए परिवहन विभाग की लापरवाही जितनी है उतनी ही लापरवाही पुलिस विभाग की भी है।स्थानीय पुलिस ओवरलोड वाहनों पर कार्रवाई करने की बजाए शहर में छोटे वाहनों के चालान काटने पर लगी रहती है।ओवरलोड वाहनों पर प्रतिबंध लगाने के लिए पुलिस प्रशासन दावे तो करता है लेकिन हकीकत कुछ और ही है।

बीते कई साल में कई ऐसे हादसे हो चुके हैं जिनकी वजह से कई घरों के चिराग बुझ चुके हैं। एक तरफ खस्ताहाल सड़कें और ऊपर से ओवरलोड वाहन, रोज किसी न किसी दुर्घटना का कारण बन रहे हैं।

शहर के देवी दरवाजा से लेकर पुलिस उपाधीक्षक आवास के सामने से मंडी के सामने व श्रद्धालुओं की आस्था का केन्द्र तीर्थराज विमलकुंड से ओवरलोडेड वाहन गुजरते हुए देखे जा सकते हैं और प्रशासन ,पुलिस प्रशासन और परिवहन विभाग आंखें मूंद कर बैठे हुए हैं।प्रशासन कई तरह के आदेश कर नियम बनाता है लेकिन वो कागजों तक ही सीमित रहते हैं और सड़कों पर घूम रहे ओवरलोड वाहन इन नियमों की अवहेलना करते हुए निकलते हैं। छोटे वाहनों के लिए परेशानी बनने वाले ओवरलोड वाहनों को लेकर पुलिस ने कभी गंभीरता से नहीं लिया जिसका खामियाजा कई लोगों को भुगतना पड़ा है।तय क्षमता से गिट्टी बजरी पत्थर जैसे अधिक सामान लेकर और वाहनों को माडीफाई कर अतिरिक्त सामान भी लोड कर निकल रहे वाहन सड़कों पर घूमते हैं और दूसरों के लिए खतरा बने रहते हैं।

 

लालच और लापरवाही पड़ रही भारी।

 

क्षेत्र में ओवरलोड वाहन लोगों की मौत बन कर घूम रहे हैं। बीते कई साल की बात करें तो कई ऐसे हादसे हो चुके हैं जिनकी वजह से कई घरों के चिराग बुझ चुके हैं। एक तरफ खस्ताहाल सड़कें और ऊपर से ओवरलोड वाहन, रोज किसी न किसी दुर्घटना का कारण बन रहे हैं।गत कई सालों से सैंकड़ों लोग ट्रांसपोर्टर और प्रशासन की मिलीभगत के चलते लापरवाही के शिकार हो चुके हैं।कस्बे के चौराहों और तीर्थ स्थलों से ओवरलोडेड वाहन गुजरते आम देखे जा सकते हैं और प्रशासन आंखों मूंद कर बैठे हुए हैं।कहने को तो समय समय पर सरकार को कारवाई दिखाने के नाम पर प्रशासन कई तरह के नियम बनाता है लेकिन वो कागजों तक ही सीमित रहते हैं और सड़कों पर घूम रहे ओवरलोड वाहन इन नियमों की अवहेलना करते हुए निकलते हैं। छोटे वाहनों के लिए परेशानी बनने वाले ओवरलोड वाहनों को लेकर पुलिस ने कभी गंभीरता से नहीं लिया जिसका खामियाजा कई लोगों को भुगतना पड़ा है।तय क्षमता से अधिक सामान लेकर और वाहनों को माडीफाई कर अतिरिक्त सामान भी लोड कर निकल रहे वाहन सड़कों पर घूमते हैं और दूसरों के लिए खतरा बने रहते हैं। 

 

“चालान काटने तक ही रहती है पुलिस की कार्रवाई”

 

क्षेत्र में ओवरलोड वाहनों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए आरटीओ विभाग की लापरवाही जितनी है, उतनी ही लापरवाही पुलिस विभाग की भी है। ट्रैफिक पुलिस ओवरलोड वाहनों पर कार्रवाई करने की बजाए शहर में छोटे दुपहिया वाहनों के चालान काटने पर लगी रहती है। ओवरलोड वाहनों पर प्रतिबंध लगाने के लिए पुलिस प्रशासन दावे तो करता है लेकिन हकीकत कुछ और ही है।

ओवरलोड खराब करता है वाहन का नियंत्रण

ओवरलोड वाहन तय सीमा से ज्यादा सामान लोड कर निकलते तो हैं ही, ओवरलोड होने से उनका नियंत्रण भी खराब रहता है जिससे उनके किसी भी मोड़ पर उलटने की आशंका बनी रहती है। ओवरलोड होने के कारण अनियंत्रित होकर सड़कों पर दौड़ रहे वाहन दुर्घटना होने के दौरान दूसरों के लिए भी मौत का कारण बनते हैं। निर्धारित मात्रा से अधिक लोड होने के बाद इन वाहन से हर समय दुर्घटना की आशंका बनी रहती है। 

 

“लालच और लापरवाही पड़ रही भारी”

 

क्षेत्र में ओवरलोड वाहनों पर कार्रवाई नहीं होती क्योंकि क्षेत्र के कई ट्रांसपोर्टर अधिकारियों की जेब गर्म करते हैं। इसी मिलीभगत के चलते पुलिस जल्दी ओवरलोड वाहनों पर हाथ नहीं डालती और पुलिस के सामने ही ओवरलोड वाहन निकल जाते हैं।पहले ओवरलोड का अवैध कारोबार स्थानीय ट्रांसपोर्ट यूनियन के सानिध्य में चलता था ,सूत्रों की माने तो वहां से ओवरलोड वाहनों को 15 हजार रुपए में गाड़ी के सीसे पर चिपकाने का एक स्टीकर बेचा जाता था जिसको सीसे पर लगाने के बाद कोई भी अधिकारी गाड़ी को नही रोकता था।वही अब यूनियन के खिलाफ वाहन मालिकों के विरोध चलने के बाद दो ट्रांसपोर्टर गाड़ियों को निकालने की जिम्मेदारी बखूबी निभा रहे हैं।गौरतलब है इन ओवरलोड माफिया का विरोध करने का खामियाजा सांसद रंजीता कोली भी उठा चुकी हैं।लेकिन फिर भी राज्य में भाजपा सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री और राज्य के गृहराज्य मंत्री के क्षेत्र से अधिकारी महत्वाकांक्षा के चलते कारवाई करने में पूरी तरह फेल नजर आ रहे हैं।जिसके कारण आमजन की नजरों में न सिर्फ सरकार की बल्कि खुद मुख्यमंत्री,गृहराज्य मंत्री सहित विधायकों की छवि भी धूमिल होती नजर आ रही है।अब देखना होगा की आखिर जिम्मेदार कब कुंभकरणीय नींद से जागकर अवैध रूप से संचालित ओवरलोड वाहनों पर कारवाई करने का साहस दिखा पाएंगे।

 

इनका कहना है :-जो ओवरलोड की कर्यवाही है हमारे आई जी साहब से एस पी सहाब से निर्देशन से हमारी पुलिस की हर बार अलग अलग टाइम पे ओवरलोड के विरुद्ध कार्यवाही की जा रही है अगर इसमें खनन विभाग या आर टी ओ वाले भी अलग कार्यवाही करगे पुलिस की इमदाद चाहेंगे हम उनकी मदद करेंगे

 

डीवाईएसपी

देशराज कुलदीप कामां

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